गौतम अडानी के नेतृत्व वाली अडानी एंटरप्राइजेज ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जोरदार नतीजे पेश किए हैं। कंपनी का शुद्ध मुनाफा 84 प्रतिशत बढ़कर जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही में 3,199 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 1,742 रुपये करोड़ था।
हालांकि, यह बढ़त पूरी तरह कंपनी के मुख्य बिजनेस से नहीं आई। दरअसल, कंपनी को एक वन-टाइम गेन यानी एकमुश्त लाभ मिला है। अडानी एंटरप्राइजेज ने अपनी 13.51% हिस्सेदारी AWL एग्री बिजनेस (पूर्व में अडानी विल्मर) में बेचकर 3,583 करोड़ रुपये का फायदा कमाया। अगर इस खास लाभ को छोड़ दिया जाए, तो कंपनी का वास्तविक ऑपरेटिंग मुनाफा घटा है। टैक्स से पहले समायोजित लाभ 66% गिरकर करीब 814 करोड़ रुपये पर आ गया, जो दर्शाता है कि कोर बिजनेस पर दबाव बना हुआ है।
रेवेन्यू में गिरावट, कोर बिजनेस पर असरहालांकि शुद्ध मुनाफा रिकॉर्ड स्तर पर रहा, लेकिन कंपनी की कुल आय साल-दर-साल 6% घटकर 21,249 करोड़ रुपये रह गई। अडानी के पारंपरिक कारोबार, कोयला ट्रेडिंग, कमर्शियल माइनिंग और रोड प्रोजेक्ट्स, कमजोर साबित हुए।
कोयला कारोबार की आय 28.5% घट गई, जबकि कमर्शियल माइनिंग सेगमेंट में 33% की गिरावट रही। कुल EBITDA (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) में 10% की कमी आई, जिससे साफ है, कि अडानी ग्रुप की सभी इकाइयां एक साथ मजबूत प्रदर्शन नहीं कर पा रहीं।
एयरपोर्ट और नई ऊर्जा सेगमेंट ने दी राहतइन कठिन हालातों के बीच अडानी एयरपोर्ट्स और न्यू एनर्जी कारोबार ने मजबूत प्रदर्शन किया। एयरपोर्ट डिवीजन की आय 43% सालाना बढ़ी, जबकि माइनिंग सर्विसेज और ग्रीन एनर्जी सेगमेंट में भी सुधार देखा गया। ये नतीजे दिखाते हैं कि अडानी धीरे-धीरे अपने पारंपरिक कारोबार से हटकर इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लीन एनर्जी सेक्टर की ओर बढ़ रहा है।
25,000 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू से फंड जुटाएगी कंपनीलाभ के ऐलान के तुरंत बाद कंपनी के बोर्ड ने 25,000 करोड़ रुपये तक फंड जुटाने की मंजूरी दी है। यह रकम मौजूदा शेयरहोल्डर्स से राइट्स इश्यू के ज़रिए जुटाई जाएगी। अडानी ग्रुप इस पूंजी का इस्तेमाल अपने बैलेंस शीट को मजबूत करने और खास तौर पर एयरपोर्ट, माइनिंग और क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के विस्तार के लिए करेगा।
निवेशकों के लिए इसका मतलब क्या हैभारतीय रिटेल निवेशकों और म्यूचुअल फंड होल्डर्स के लिए यह खबर खास है। अडानी ग्रुप एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जहां एक ओर एकमुश्त मुनाफे ने नतीजों को चमकाया, वहीं असली कारोबारी प्रदर्शन दबाव में रहा।
यदि आप अडानी के स्टॉक्स में निवेश कर रहे हैं, तो नजर रखें कि नए बिजनेस (जैसे एयरपोर्ट और रिन्यूएबल एनर्जी) कितनी तेजी से पुराने सेक्टरों (जैसे कोयला ट्रेडिंग) की कमजोरी की भरपाई कर पाते हैं।
आगे क्या देखना चाहिएअडानी एंटरप्राइजेज अब अपने कारोबार को भविष्य उन्मुख सेक्टरों की ओर मोड़ रहा है। कंपनी ने फंड जुटाने की बड़ी योजना बनाई है और एयरपोर्ट व ग्रीन एनर्जी बिजनेस पर फोकस बढ़ाया है। विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले महीनों में अडानी की रणनीति और इन दोनों सेगमेंट का प्रदर्शन भारतीय शेयर बाजार की दिशा तय कर सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
हालांकि, यह बढ़त पूरी तरह कंपनी के मुख्य बिजनेस से नहीं आई। दरअसल, कंपनी को एक वन-टाइम गेन यानी एकमुश्त लाभ मिला है। अडानी एंटरप्राइजेज ने अपनी 13.51% हिस्सेदारी AWL एग्री बिजनेस (पूर्व में अडानी विल्मर) में बेचकर 3,583 करोड़ रुपये का फायदा कमाया। अगर इस खास लाभ को छोड़ दिया जाए, तो कंपनी का वास्तविक ऑपरेटिंग मुनाफा घटा है। टैक्स से पहले समायोजित लाभ 66% गिरकर करीब 814 करोड़ रुपये पर आ गया, जो दर्शाता है कि कोर बिजनेस पर दबाव बना हुआ है।
रेवेन्यू में गिरावट, कोर बिजनेस पर असरहालांकि शुद्ध मुनाफा रिकॉर्ड स्तर पर रहा, लेकिन कंपनी की कुल आय साल-दर-साल 6% घटकर 21,249 करोड़ रुपये रह गई। अडानी के पारंपरिक कारोबार, कोयला ट्रेडिंग, कमर्शियल माइनिंग और रोड प्रोजेक्ट्स, कमजोर साबित हुए।
कोयला कारोबार की आय 28.5% घट गई, जबकि कमर्शियल माइनिंग सेगमेंट में 33% की गिरावट रही। कुल EBITDA (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) में 10% की कमी आई, जिससे साफ है, कि अडानी ग्रुप की सभी इकाइयां एक साथ मजबूत प्रदर्शन नहीं कर पा रहीं।
एयरपोर्ट और नई ऊर्जा सेगमेंट ने दी राहतइन कठिन हालातों के बीच अडानी एयरपोर्ट्स और न्यू एनर्जी कारोबार ने मजबूत प्रदर्शन किया। एयरपोर्ट डिवीजन की आय 43% सालाना बढ़ी, जबकि माइनिंग सर्विसेज और ग्रीन एनर्जी सेगमेंट में भी सुधार देखा गया। ये नतीजे दिखाते हैं कि अडानी धीरे-धीरे अपने पारंपरिक कारोबार से हटकर इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लीन एनर्जी सेक्टर की ओर बढ़ रहा है।
25,000 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू से फंड जुटाएगी कंपनीलाभ के ऐलान के तुरंत बाद कंपनी के बोर्ड ने 25,000 करोड़ रुपये तक फंड जुटाने की मंजूरी दी है। यह रकम मौजूदा शेयरहोल्डर्स से राइट्स इश्यू के ज़रिए जुटाई जाएगी। अडानी ग्रुप इस पूंजी का इस्तेमाल अपने बैलेंस शीट को मजबूत करने और खास तौर पर एयरपोर्ट, माइनिंग और क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स के विस्तार के लिए करेगा।
निवेशकों के लिए इसका मतलब क्या हैभारतीय रिटेल निवेशकों और म्यूचुअल फंड होल्डर्स के लिए यह खबर खास है। अडानी ग्रुप एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जहां एक ओर एकमुश्त मुनाफे ने नतीजों को चमकाया, वहीं असली कारोबारी प्रदर्शन दबाव में रहा।
यदि आप अडानी के स्टॉक्स में निवेश कर रहे हैं, तो नजर रखें कि नए बिजनेस (जैसे एयरपोर्ट और रिन्यूएबल एनर्जी) कितनी तेजी से पुराने सेक्टरों (जैसे कोयला ट्रेडिंग) की कमजोरी की भरपाई कर पाते हैं।
आगे क्या देखना चाहिएअडानी एंटरप्राइजेज अब अपने कारोबार को भविष्य उन्मुख सेक्टरों की ओर मोड़ रहा है। कंपनी ने फंड जुटाने की बड़ी योजना बनाई है और एयरपोर्ट व ग्रीन एनर्जी बिजनेस पर फोकस बढ़ाया है। विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले महीनों में अडानी की रणनीति और इन दोनों सेगमेंट का प्रदर्शन भारतीय शेयर बाजार की दिशा तय कर सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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