घाटशिला, 9 नवंबर . Jharkhand की घाटशिला विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान Sunday शाम पांच बजे थम गया. आखिरी दिन इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. नेताओं ने रोड शो, जनसभाओं और जनसंपर्क के जरिए मतदाताओं को लुभाने का हर प्रयास किया. इस उपचुनाव में मुख्य मुकाबला झामुमो प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन और भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन के बीच है.
एक ओर झामुमो अपने दिवंगत विधायक रामदास सोरेन की Political विरासत और Government के कार्यों पर भरोसा जता रहा है, तो दूसरी ओर भाजपा संगठन की मजबूती और मोदी Government की योजनाओं के बल पर जीत का दावा कर रही है. हेमंत सोरेन Government के दूसरे कार्यकाल का यह पहला उपचुनाव है. Political विश्लेषक इसे केवल ‘सोमेश बनाम बाबूलाल’ नहीं, बल्कि ‘हेमंत बनाम चंपई’ की सियासी जंग के रूप में देख रहे हैं.
दरअसल, चंपई सोरेन, जिन्हें कोल्हान टाइगर कहा जाता है, लंबे समय तक झामुमो में सक्रिय रहे. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद वे Chief Minister भी बनाए गए, लेकिन उनके जमानत पर बाहर आने के बाद चंपई सोरेन को यह पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हो गए. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने खुद सरायकेला सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की, लेकिन अपने बेटे बाबूलाल को घाटशिला से नहीं जिता पाए थे.
इस बार भाजपा ने फिर उनके बेटे बाबूलाल को टिकट दिया है, जिससे यह चुनाव पिता-पुत्र दोनों के लिए Political प्रतिष्ठा की परीक्षा बन गया है. वहीं, Chief Minister हेमंत सोरेन के लिए भी घाटशिला उपचुनाव एक साख की जंग है. अगर झामुमो प्रत्याशी सोमेश सोरेन जीतते हैं तो यह न केवल उनके दूसरे कार्यकाल के एक साल के कामकाज पर जनता की मुहर मानी जाएगी, बल्कि आदिवासी राजनीति में उनकी पकड़ भी और मजबूत होगी.
Jharkhand लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के उम्मीदवार रामदास मुर्मू ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है. इनके अलावा India आदिवासी पार्टी के पंचानन सोरेन और पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) की पार्वती हांसदा सहित कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं.
घाटशिला विधानसभा सीट पर 2,56,352 मतदाता हैं. मतदान के लिए 231 स्थानों पर 300 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. सभी मतदान केंद्रों को मॉडल बूथ के रूप में विकसित किया गया है, जहां बिजली, पेयजल, रैंप और अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी.
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एसएनसी/डीकेपी
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