नई दिल्ली: महीने की शुरुआत में जब फोन पर सैलरी अकाउंट में क्रेडिट होने का मैसेज आता है तो काफी खुशी होती है। लेकिन यह खुशी कुछ दिनों तक ही रहती है। 15-20 दिन गुजरने के बाद आर्थिक तंगी के हालात शुरू हो जाते हैं। ऐसा काफी लोगों के साथ होता है। मिडिल क्लास के साथ तो लगभग हर महीने यही स्थिति रहती है। 15-20 दिन बीतने के बाद चिंता सताने लगती है कि आखिर सैलरी का पैसा कहां खर्च हो गया? चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने इसके बारे में एक्स पर एक पोस्ट लिखी है। उन्होंने इसका कारण और समाधान भी बताया है।
नितिन कौशिक ने एक्स पर एक थ्रेड में बताया है कि किस प्रकार कुछ अनजाने और अनचाहे खर्च ऐसे हो जाते हैं जिनके कारण धीरे-धीरे सैलरी का पैसा खर्च होना शुरू हो जाता है। हालात कई बार ऐसे आ जाते हैं कि सैलरी मिलने के 20 दिन बाद ही बटुआ खाली हो जाता है। नितिन कौशिक का कहना है कि समस्या यह नहीं है कि आप कितना कमाते हैं, बल्कि यह है कि आप उस पैसे को कैसे मैनेज करते हैं।
क्या लिखा है पोस्ट में?नितिन कौशिक ने अपनी पोस्ट में लिखा है, 'आपकी सैलरी अभी-अभी क्रेडिट हुई है। वो खुशी वाला अलर्ट देखकर मुस्कान आ जाती है, है ना? लेकिन 20 दिन बाद आपका यूपीआई बैलेंस आपको सोचने पर मजबूर कर देता है- सारा पैसा कहां गया? यह कहानी कई मिडिल क्लास भारतीयों की है।'
उन्होंने लिखा है, 'आप 80 हजार रुपये या 2 लाख रुपये महीना कमाएं। बिना किसी सही मनी प्लान के यह पैसा आपकी सोच से भी तेज गायब हो जाता है।' उन्होंने आगे कहा कि दौलत सिर्फ कमाई से नहीं, बल्कि मैनेजमेंट और लगातार कोशिशों से बनती है।
उदाहरण देकर समझाई बातअपनी बात को समझाने के लिए नितिन कौशिक ने पोस्ट में एक उदाहरण का सहारा लिया है। उन्होंने रिया की कहानी बताई, जो एक कंसल्टेंट हैं और 90,000 रुपये महीना कमाती हैं। वह हर महीने लगभग 20,000 रुपये सिर्फ रोज की कॉफी, लंच, स्नैक्स और वीकेंड पर बाहर घूमने में खर्च कर देती हैं। यह साल का 2.4 लाख रुपये हो जाता है। अगर इसकी आधी रकम भी 11% सालाना रिटर्न के साथ निवेश की जाए तो पांच साल में 8.4 लाख रुपये का फंड बन सकता है। कौशिक ने कहा कि छोटे-छोटे फैसले चुपके से बड़ी दौलत बन जाते हैं।
क्यों 'गायब' हो जाती है सैलरी?नितिन कौशिक ने सैलरी गायब होने के पीछे असली वजह अनकॉन्शियस स्पेंडिंग यानी ऐसे खर्च को बताया है जो अनजाने में होता है। उन्होंने लिखा है कि कई बार ऐसे छोटे खर्चे होते हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता। उनके मुताबिक हमारा दिमाग बड़े खर्चे पहचान लेता है लेकिन छोटे खर्चे जैसे- रोजाना का खर्च, सब्सक्रिप्शन, अचानक कुछ खरीदना आदि खर्च का पता ही नहीं चलता। इस कारण हर महीने 25 से 40 हजार रुपये चुपके से खर्च हो जाते हैं। यही कारण है कि सैलरी आने के बाद महीना खत्म होने से पहले ही बटुआ खाली हो जाता है।
ये बताए काम के टिप्सऐसे अनचाहे खर्च को रोकने और पैसे पर कंट्रोल के लिए नितिन कौशिक ने 4 टिप्स बताए हैं। उन्होंने कहा कि अपनी सैलरी की तरह हर महीने बचत को ऑटोमेटिक कर लें। इसके लिए किसी मुश्किल अकाउंट की जरूरत नहीं है। बस 4 आसान पॉकेट बना लें। ये इस प्रकार हैं:
1. सैलरी हब (Salary Hub): यह आपका मुख्य इनकम अकाउंट है। यानी आपकी सैलरी इसी अकाउंट में आती है।
2. सेफ्टी नेट (Safety Net): इसमें इमरजेंसी फंड और लक्ष्य-आधारित बचत के लिए पैसा रखें। यह रकम 60:40 के रेश्यो में होनी चाहिए।
3. ग्रोथ इंजन (Growth Engine): यह अकाउंट सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और ऑटोमेटेड इन्वेस्टमेंट के लिए है।
4. डेली एक्सपेंसेस (Daily Expenses): यह अकाउंट यूपीआई और बिल पेमेंट के लिए है। यह आपकी सेविंग से अलग होगा।
टाइमिंग का रखें ध्याननितिन कौशिक के अनुसार ऊपर बताए चार पॉकेट में पैसा समय पर इन्वेस्ट कर दें। यहां टाइमिंग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों की सैलरी महीने की आखिरी तारीख (30 या 31) या 1 तारीख को आ जाती है। ऐसे में हर महीने की 2 तारीख को ऑटोमेटिक ट्रांसफर सेट करें। महीने के बीच में खर्चों की समीक्षा करें और 25 तारीख तक अगले महीने की तैयारी कर लें।
बताए तीन मंत्रकौशिक ने अपनी सलाह का सार तीन स्टेप्स में बताया। उन्होंने पोस्ट के 8वें थ्रेड में लिखा है कि पैसा कमाना एक स्किल है। पैसा बचाना एक आर्ट है और पैसे को कंपाउंड करना (ब्याज पर ब्याज कमाना) साइंस है। उन्होंने कहा कि इन तीनों में महारत हासिल करें। ऐसे में फाइनेंशियल फ्रीडम अपने आप मिल जाएगी।
नितिन कौशिक ने एक्स पर एक थ्रेड में बताया है कि किस प्रकार कुछ अनजाने और अनचाहे खर्च ऐसे हो जाते हैं जिनके कारण धीरे-धीरे सैलरी का पैसा खर्च होना शुरू हो जाता है। हालात कई बार ऐसे आ जाते हैं कि सैलरी मिलने के 20 दिन बाद ही बटुआ खाली हो जाता है। नितिन कौशिक का कहना है कि समस्या यह नहीं है कि आप कितना कमाते हैं, बल्कि यह है कि आप उस पैसे को कैसे मैनेज करते हैं।
क्या लिखा है पोस्ट में?नितिन कौशिक ने अपनी पोस्ट में लिखा है, 'आपकी सैलरी अभी-अभी क्रेडिट हुई है। वो खुशी वाला अलर्ट देखकर मुस्कान आ जाती है, है ना? लेकिन 20 दिन बाद आपका यूपीआई बैलेंस आपको सोचने पर मजबूर कर देता है- सारा पैसा कहां गया? यह कहानी कई मिडिल क्लास भारतीयों की है।'
उन्होंने लिखा है, 'आप 80 हजार रुपये या 2 लाख रुपये महीना कमाएं। बिना किसी सही मनी प्लान के यह पैसा आपकी सोच से भी तेज गायब हो जाता है।' उन्होंने आगे कहा कि दौलत सिर्फ कमाई से नहीं, बल्कि मैनेजमेंट और लगातार कोशिशों से बनती है।
उदाहरण देकर समझाई बातअपनी बात को समझाने के लिए नितिन कौशिक ने पोस्ट में एक उदाहरण का सहारा लिया है। उन्होंने रिया की कहानी बताई, जो एक कंसल्टेंट हैं और 90,000 रुपये महीना कमाती हैं। वह हर महीने लगभग 20,000 रुपये सिर्फ रोज की कॉफी, लंच, स्नैक्स और वीकेंड पर बाहर घूमने में खर्च कर देती हैं। यह साल का 2.4 लाख रुपये हो जाता है। अगर इसकी आधी रकम भी 11% सालाना रिटर्न के साथ निवेश की जाए तो पांच साल में 8.4 लाख रुपये का फंड बन सकता है। कौशिक ने कहा कि छोटे-छोटे फैसले चुपके से बड़ी दौलत बन जाते हैं।
क्यों 'गायब' हो जाती है सैलरी?नितिन कौशिक ने सैलरी गायब होने के पीछे असली वजह अनकॉन्शियस स्पेंडिंग यानी ऐसे खर्च को बताया है जो अनजाने में होता है। उन्होंने लिखा है कि कई बार ऐसे छोटे खर्चे होते हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता। उनके मुताबिक हमारा दिमाग बड़े खर्चे पहचान लेता है लेकिन छोटे खर्चे जैसे- रोजाना का खर्च, सब्सक्रिप्शन, अचानक कुछ खरीदना आदि खर्च का पता ही नहीं चलता। इस कारण हर महीने 25 से 40 हजार रुपये चुपके से खर्च हो जाते हैं। यही कारण है कि सैलरी आने के बाद महीना खत्म होने से पहले ही बटुआ खाली हो जाता है।
ये बताए काम के टिप्सऐसे अनचाहे खर्च को रोकने और पैसे पर कंट्रोल के लिए नितिन कौशिक ने 4 टिप्स बताए हैं। उन्होंने कहा कि अपनी सैलरी की तरह हर महीने बचत को ऑटोमेटिक कर लें। इसके लिए किसी मुश्किल अकाउंट की जरूरत नहीं है। बस 4 आसान पॉकेट बना लें। ये इस प्रकार हैं:
1. सैलरी हब (Salary Hub): यह आपका मुख्य इनकम अकाउंट है। यानी आपकी सैलरी इसी अकाउंट में आती है।
2. सेफ्टी नेट (Safety Net): इसमें इमरजेंसी फंड और लक्ष्य-आधारित बचत के लिए पैसा रखें। यह रकम 60:40 के रेश्यो में होनी चाहिए।
3. ग्रोथ इंजन (Growth Engine): यह अकाउंट सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और ऑटोमेटेड इन्वेस्टमेंट के लिए है।
4. डेली एक्सपेंसेस (Daily Expenses): यह अकाउंट यूपीआई और बिल पेमेंट के लिए है। यह आपकी सेविंग से अलग होगा।
टाइमिंग का रखें ध्याननितिन कौशिक के अनुसार ऊपर बताए चार पॉकेट में पैसा समय पर इन्वेस्ट कर दें। यहां टाइमिंग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों की सैलरी महीने की आखिरी तारीख (30 या 31) या 1 तारीख को आ जाती है। ऐसे में हर महीने की 2 तारीख को ऑटोमेटिक ट्रांसफर सेट करें। महीने के बीच में खर्चों की समीक्षा करें और 25 तारीख तक अगले महीने की तैयारी कर लें।
💸 Your salary just got credited. That happy alert brings a smile, doesn’t it?
— CA Nitin Kaushik (FCA) | LLB (@Finance_Bareek) November 9, 2025
But 20 days later, your UPI balance makes you wonder—where did all the money go?
This is the story of many middle-class Indians. Let’s talk about why salary disappears and how to stop the leak. 🧵👇… pic.twitter.com/nxL9GHuLGz
बताए तीन मंत्रकौशिक ने अपनी सलाह का सार तीन स्टेप्स में बताया। उन्होंने पोस्ट के 8वें थ्रेड में लिखा है कि पैसा कमाना एक स्किल है। पैसा बचाना एक आर्ट है और पैसे को कंपाउंड करना (ब्याज पर ब्याज कमाना) साइंस है। उन्होंने कहा कि इन तीनों में महारत हासिल करें। ऐसे में फाइनेंशियल फ्रीडम अपने आप मिल जाएगी।
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