हुमा कुरैशी हिंदी सिनेमा का एक मजबूत हस्ताक्षर हैं। अपनी अदायगी की चमक उन्होंने पहली फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में ही बिखेर दी थी। फिर ओटीटी पर 'महारानी' बनकर दमखम दिखाया। इस शो का चौथा सीजन जल्द आ रहा है। इसके बावजूद, हुमा कहती हैं कि उन्हें वे बड़े या बेहतर मौके नहीं मिलते जो उनकी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकें। इसलिए, वह खुद निर्माता बनकर अपने मन की कहानियां सुनाने भी निकल पड़ी हैं। पढ़िए, उनसे यह खास बातचीत:
इस साल आपने अभिनय से एक कदम आगे बढ़ाते हुए फिल्म प्रॉडक्शन में भी कदम रखा। निर्माता बनने का ख्याल कैसे आया?
निर्माता बनने का ख्याल ऐसे आया कि ये इंडस्ट्री बहुत सारे मौके आपको देती नहीं है। मैंने इतना सारा काम कर लिया, फिर भी मुझे अब भी बहुत जगहों पर रोक दिया जाता है या मेरे पास वें फिल्में नहीं आतीं। आप मेरी फिल्मोग्राफी देख लो, मैंने उन फिल्मों से प्यार पाया है जो शायद कोई और नहीं करना चाहता था। ऐसा नहीं है कि मुझे बेस्ट मौके मिल रहे हैं या मेरे लिए कोई बहुत बड़े बजट की फिल्में बन रही हैं। मुझे जो मौका मिलता है, मैं उसमें छक्का मारती हूं, लेकिन यह बहुत फ्रस्ट्रेटिंग होता है कि आपको लगता है कि मैं कर सकती हूं मगर सामने वाला आपको वो मौके देगा नहीं तो घर बैठकर आप थोड़ी ऐक्टिंग दिखाओगे। इसलिए, मैंने सोचा कि इसे लेकर रोने-पीटने से बेहतर है कि अपनी किस्मत अपने हाथ में लो और जो हम चाहते हैं, वे फिल्में बनाएं तो मैंने और साकिब (ऐक्टर भाई साकिब सलीम) ने मिलकर यह कंपनी शुरू की है। हम फिल्में बनाते जाएंगे और हर फिल्म से कुछ सीखेंगे।
इन दिनों इंस्टाग्राम के एलगोरिदम के आधार पर भी फिल्में बनने लगी हैं। बतौर क्रिएटिव इंसान ऐसी चीजें परेशान करती हैं?
एल्गोरिदम से फिल्में नहीं बननी चाहिए। ये कोई एक्सेल शीट नहीं है कि दो और दो जोड़कर चार कर दिया। यह क्रिएटिव प्रॉसेस है, यहां कौन सी चीज कैसे बनेगी, आप नहीं बता सकते। इसलिए, फिल्म मेकिंग में यह गुणा-गणित लगाना बेवकूफी है। आप देखो, जब ओटीटी का गोल्डन पीरियड था, उसमें से 'महारानी' समेत कुछ ही शो के सीजन दर सीजन आ रहे हैं। वरना पिछले साल के ब्रेक आउट शोज, कहानियां और नए टैलंट कौन से हैं? एक ठहराव आ गया है क्योंकि अभी एलगोरिदम पर बड़ा जोर हो गया है और उससे चीजें नहीं बनती है। कोई चीज हिट हो जाए तो आप उसकी सौ वजहें गिना सकते हैं, पर वजहें गिनकर आप फिल्म बनाओ तो आपसे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं है। आज हेट वॉचिंग और क्रिंज वॉचिंग पर लोग पार्टियां दे रहे हैं और मुझे ये चीज समझ नहीं आ रही कि भई इस पर आप कैसे खुशी मना सकते हैं कि आपको पता है कि आपका शो अच्छा नहीं है। लोग गालियां दे रहे हैं लेकिन लोग देख रहे हैं तो आप उसे सेलिब्रेट कर रहे हैं। फिर तो आप कुछ भी बकवास बना दो, आपका मकसद क्या है बनाने का, वो तो पता होना चाहिए।
आप यश के साथ साउथ की फिल्म 'टॉक्सिक' भी कर रही हैं। आपके हिसाब से साउथ के मेकर्स क्या सही कर रहे हैं, जो बॉलिवुड को सीखना चाहिए?
वे अपनी जड़ों से जुड़ी कहानियां बना रहे हैं। अपने लोगों की कहानियां बना रहे हैं। वे पश्चिम से प्रभावित होकर उनके जैसा सिनेमा नहीं बना रहे हैं। जबकि, हमारे यहां सबकुछ है पर हमारी ऑडियंस कौन है, वो हमें पता नहीं है।
आपकी लेटेस्ट फिल्म सिंगल सलमा लड़कियों पर शादी के दबाव को दिखाती है। कभी आपको किसी ने शादी को लेकर ऐसी सलाह दी कि उम्र निकल रही है?
पर्सनल तौर पर तो याद नहीं, मगर हमारे समाज में लड़कियों पर शादी का दबाव होता ही है। 25 के बाद शादी कब होगी, ये बहुत बड़ा मसला होता है कि भई शादी की उम्र हो गई। जैसे आप कोई दूध का डब्बा या फल हो कि जल्दी नहीं बिका तो बासी हो जाएगा और फेंकना पड़ेगा। हमें लड़कियों को एक बोझ, एक सामान की तरह ट्रीट करना बंद करना चाहिए। शादी किसी दबाव में नहीं होना चाहिए।
चर्चा तेज है कि आप खुद भी अपना सिंगल स्टेटस छोड़कर जल्द मिंगल होने वाली हैं?
आपने सिंगल और मिंगल को बड़ी खूबी से मिलाया है, मगर मैं अपनी प्राइवेट जिंदगी के बारे में जवाब देना नहीं चाहूंगी। वह मेरी निजी जिंदगी है, तो उसे प्राइवेट और पर्सनल रहने देते हैं।
वेब सीरीज डेल्ही क्राइम 3 में आप बड़ी दीदी का नेगेटिव किरदार निभा रही हैं। वह नेगेटिविटी खुद में लाना कितना मुश्किल था?
बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। एक तो मैं पहली बार नेगेटिव करैक्टर निभा रही हूं। उस पर यह बहुत ही ज्यादा नेगेटिव किरदार है। वह बहुत ही बुरी है, तो इसे करते हुए मेरे अंदर काफी अंतरद्वंद रहा, क्योंकि मैं गर्ल एंपावरमेंट में यकीन करती हूं और यह गर्ल ट्रैफिकिंग का मुद्दा है लेकिन मैंने कहीं पढ़ा था कि कुछ चीजें सोसायटी में एग्जिस्ट करती हैं और एक कलाकार के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस पर रोशनी डाले, तो हुमा कुरैशी के यह किरदार निभाने से अगर यह मुद्दा या शो बड़ा बनता है और उस पर चर्चा होती है तो खुशी-खुशी करना चाहूंगी।
आप अपने उपन्यास 'ज़ेबा: ऐन ऐक्सीडेंटल सुपरहीरो' की कहानी पर पहले फिल्म बनाना चाहती थीं। वह चाहत अब भी है?
सौ फीसदी, मैं उस पर फिल्म बनाऊंगी। उसे प्रड्यूस भी करूंगी, उसमें ऐक्टिंग भी करूंगी और जरूर बनाऊंगी।
'महारानी', 'तरला', 'डबल एक्सेल' या हाल ही में आई 'सिंगल सलमा' , आपके ये सभी प्रॉजेक्ट लड़कियों से जुड़े अहम मुद्दे उठाते हैं...
(बीच में) मैं हिंदुस्तान की लड़कियों, औरतों, महिलाओं के लिए ही कहानी बना रही हूं। मैं एक ऑल गर्ल सुपरस्टार बनना चाहती हूं। ये मेरा सपना है। मैं हमारी (लड़कियों की) कहानियां, हमारी दिक्कतें, हमारी चीजों को लेकर कहानियां बनाना चाहती हूं जो बाकी लोग नहीं बना रहे हैं।
आप पिछले 5 सालों से 'रानी भारती' को लगातार जी रही हैं। इस शो का अपने जीवन और करियर में क्या योगदान मानती हैं?
'रानी भारती' वह रोल है जिसने मेरी जिंदगी बदली है। जितना प्यार मुझे 'रानी भारती' के लिए मिला है, बहुत कम ऐक्टर वो प्यार और सक्सेस देख पाते हैं। इसका चौथा सीजन आ रहा है, जो अपने में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि जब हमने 2021 में शुरुआत की थी, तब ज्यादा लोगों ने हम पर भरोसा नहीं किया था। व्यक्तिगत तौर पर भी रानी भारती की वजह से मैं ज्यादा मजबूत और वोकल हुई हूं।
इस साल आपने अभिनय से एक कदम आगे बढ़ाते हुए फिल्म प्रॉडक्शन में भी कदम रखा। निर्माता बनने का ख्याल कैसे आया?
निर्माता बनने का ख्याल ऐसे आया कि ये इंडस्ट्री बहुत सारे मौके आपको देती नहीं है। मैंने इतना सारा काम कर लिया, फिर भी मुझे अब भी बहुत जगहों पर रोक दिया जाता है या मेरे पास वें फिल्में नहीं आतीं। आप मेरी फिल्मोग्राफी देख लो, मैंने उन फिल्मों से प्यार पाया है जो शायद कोई और नहीं करना चाहता था। ऐसा नहीं है कि मुझे बेस्ट मौके मिल रहे हैं या मेरे लिए कोई बहुत बड़े बजट की फिल्में बन रही हैं। मुझे जो मौका मिलता है, मैं उसमें छक्का मारती हूं, लेकिन यह बहुत फ्रस्ट्रेटिंग होता है कि आपको लगता है कि मैं कर सकती हूं मगर सामने वाला आपको वो मौके देगा नहीं तो घर बैठकर आप थोड़ी ऐक्टिंग दिखाओगे। इसलिए, मैंने सोचा कि इसे लेकर रोने-पीटने से बेहतर है कि अपनी किस्मत अपने हाथ में लो और जो हम चाहते हैं, वे फिल्में बनाएं तो मैंने और साकिब (ऐक्टर भाई साकिब सलीम) ने मिलकर यह कंपनी शुरू की है। हम फिल्में बनाते जाएंगे और हर फिल्म से कुछ सीखेंगे।
इन दिनों इंस्टाग्राम के एलगोरिदम के आधार पर भी फिल्में बनने लगी हैं। बतौर क्रिएटिव इंसान ऐसी चीजें परेशान करती हैं?
एल्गोरिदम से फिल्में नहीं बननी चाहिए। ये कोई एक्सेल शीट नहीं है कि दो और दो जोड़कर चार कर दिया। यह क्रिएटिव प्रॉसेस है, यहां कौन सी चीज कैसे बनेगी, आप नहीं बता सकते। इसलिए, फिल्म मेकिंग में यह गुणा-गणित लगाना बेवकूफी है। आप देखो, जब ओटीटी का गोल्डन पीरियड था, उसमें से 'महारानी' समेत कुछ ही शो के सीजन दर सीजन आ रहे हैं। वरना पिछले साल के ब्रेक आउट शोज, कहानियां और नए टैलंट कौन से हैं? एक ठहराव आ गया है क्योंकि अभी एलगोरिदम पर बड़ा जोर हो गया है और उससे चीजें नहीं बनती है। कोई चीज हिट हो जाए तो आप उसकी सौ वजहें गिना सकते हैं, पर वजहें गिनकर आप फिल्म बनाओ तो आपसे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं है। आज हेट वॉचिंग और क्रिंज वॉचिंग पर लोग पार्टियां दे रहे हैं और मुझे ये चीज समझ नहीं आ रही कि भई इस पर आप कैसे खुशी मना सकते हैं कि आपको पता है कि आपका शो अच्छा नहीं है। लोग गालियां दे रहे हैं लेकिन लोग देख रहे हैं तो आप उसे सेलिब्रेट कर रहे हैं। फिर तो आप कुछ भी बकवास बना दो, आपका मकसद क्या है बनाने का, वो तो पता होना चाहिए।
आप यश के साथ साउथ की फिल्म 'टॉक्सिक' भी कर रही हैं। आपके हिसाब से साउथ के मेकर्स क्या सही कर रहे हैं, जो बॉलिवुड को सीखना चाहिए?
वे अपनी जड़ों से जुड़ी कहानियां बना रहे हैं। अपने लोगों की कहानियां बना रहे हैं। वे पश्चिम से प्रभावित होकर उनके जैसा सिनेमा नहीं बना रहे हैं। जबकि, हमारे यहां सबकुछ है पर हमारी ऑडियंस कौन है, वो हमें पता नहीं है।
आपकी लेटेस्ट फिल्म सिंगल सलमा लड़कियों पर शादी के दबाव को दिखाती है। कभी आपको किसी ने शादी को लेकर ऐसी सलाह दी कि उम्र निकल रही है?
पर्सनल तौर पर तो याद नहीं, मगर हमारे समाज में लड़कियों पर शादी का दबाव होता ही है। 25 के बाद शादी कब होगी, ये बहुत बड़ा मसला होता है कि भई शादी की उम्र हो गई। जैसे आप कोई दूध का डब्बा या फल हो कि जल्दी नहीं बिका तो बासी हो जाएगा और फेंकना पड़ेगा। हमें लड़कियों को एक बोझ, एक सामान की तरह ट्रीट करना बंद करना चाहिए। शादी किसी दबाव में नहीं होना चाहिए।
चर्चा तेज है कि आप खुद भी अपना सिंगल स्टेटस छोड़कर जल्द मिंगल होने वाली हैं?
आपने सिंगल और मिंगल को बड़ी खूबी से मिलाया है, मगर मैं अपनी प्राइवेट जिंदगी के बारे में जवाब देना नहीं चाहूंगी। वह मेरी निजी जिंदगी है, तो उसे प्राइवेट और पर्सनल रहने देते हैं।
वेब सीरीज डेल्ही क्राइम 3 में आप बड़ी दीदी का नेगेटिव किरदार निभा रही हैं। वह नेगेटिविटी खुद में लाना कितना मुश्किल था?
बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। एक तो मैं पहली बार नेगेटिव करैक्टर निभा रही हूं। उस पर यह बहुत ही ज्यादा नेगेटिव किरदार है। वह बहुत ही बुरी है, तो इसे करते हुए मेरे अंदर काफी अंतरद्वंद रहा, क्योंकि मैं गर्ल एंपावरमेंट में यकीन करती हूं और यह गर्ल ट्रैफिकिंग का मुद्दा है लेकिन मैंने कहीं पढ़ा था कि कुछ चीजें सोसायटी में एग्जिस्ट करती हैं और एक कलाकार के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस पर रोशनी डाले, तो हुमा कुरैशी के यह किरदार निभाने से अगर यह मुद्दा या शो बड़ा बनता है और उस पर चर्चा होती है तो खुशी-खुशी करना चाहूंगी।
आप अपने उपन्यास 'ज़ेबा: ऐन ऐक्सीडेंटल सुपरहीरो' की कहानी पर पहले फिल्म बनाना चाहती थीं। वह चाहत अब भी है?
सौ फीसदी, मैं उस पर फिल्म बनाऊंगी। उसे प्रड्यूस भी करूंगी, उसमें ऐक्टिंग भी करूंगी और जरूर बनाऊंगी।
'महारानी', 'तरला', 'डबल एक्सेल' या हाल ही में आई 'सिंगल सलमा' , आपके ये सभी प्रॉजेक्ट लड़कियों से जुड़े अहम मुद्दे उठाते हैं...
(बीच में) मैं हिंदुस्तान की लड़कियों, औरतों, महिलाओं के लिए ही कहानी बना रही हूं। मैं एक ऑल गर्ल सुपरस्टार बनना चाहती हूं। ये मेरा सपना है। मैं हमारी (लड़कियों की) कहानियां, हमारी दिक्कतें, हमारी चीजों को लेकर कहानियां बनाना चाहती हूं जो बाकी लोग नहीं बना रहे हैं।
आप पिछले 5 सालों से 'रानी भारती' को लगातार जी रही हैं। इस शो का अपने जीवन और करियर में क्या योगदान मानती हैं?
'रानी भारती' वह रोल है जिसने मेरी जिंदगी बदली है। जितना प्यार मुझे 'रानी भारती' के लिए मिला है, बहुत कम ऐक्टर वो प्यार और सक्सेस देख पाते हैं। इसका चौथा सीजन आ रहा है, जो अपने में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि जब हमने 2021 में शुरुआत की थी, तब ज्यादा लोगों ने हम पर भरोसा नहीं किया था। व्यक्तिगत तौर पर भी रानी भारती की वजह से मैं ज्यादा मजबूत और वोकल हुई हूं।
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