मुंबई: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) रिसर्च पेपर पब्लिश कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले एक गिरोह के दो वांटेड आरोपियों को अंधेरी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान राजू शेट्टी और सुरेश माड़के उर्फ अर्शी के रूप में हुई है। दोनों पर भारतीय सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल को झांसा देकर करीब 1.28 लाख ठगने का आरोप है। दोनों आरोपी पिछले चार महीनों से फरार थे। एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ पहले से ही साइबर धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस को शक है कि इन्होंने इसी तरह कई और लोगों को निशाना बनाया होगा। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
कैसे दिया गया धोखाधडी को अंजाम:
जांच अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली में तैनात पीड़ित लेफ्टिनेंट कर्नल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर शोध कर रहे थे। अपने शोध पत्र को किसी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित कराना चाहते थे। इस दौरान उनका संपर्क सोशल मीडिया के माध्यम से आरोपियों से हुईं। आरोपियों ने खुद को रिसर्च पेपर पब्लिश कराने का विशेषज्ञ बताया और कई दस्तावेज भी दिखाए। भरोसा जीतने पर आरोपियों ने पीड़ित से कहा कि रिसर्च पेपर पब्लिश कराने के लिए पहले 69 हजार और बाद में 59 हजार देने होंगे।
भरोसा करते हुए पीड़ित ने उन्हें किस्तों में उक्त रकम ट्रांसफर कर दिए। लेकिन, कई महीनों तक न पेपर प्रकाशित हुआ और न कोई अपडेट मिला तो पीड़ित को दोनों पर शक हुआ और उन्होंने इसकी साइबर पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर दोनों को महाराष्ट्र के अलग अलग हिस्से से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस आरोपियों से मोबाइल, बैंक डिटेल्स और लेन-देन के दस्तावेज जब्त कर गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी एवं जांच कर रही है।
साइबर सेफ्टी टिप्स
1. कोई भी भुगतान पहले न करें, काम पूरा होने या पुष्टि के बाद ही ट्रांजैक्शन करें।
2. वेबसाइट और ईमेल की सत्यता जांचें, सरकारी या विश्वविद्यालय पोर्टल पर जाकर इसकी पुष्टि करें।
3. सोशल मीडिया पर मिले ‘स्पेशल ऑफर’ से सावधान रहें।
4. किसी भी प्रकार की शंका होने पर तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।
5. OTP, पासवर्ड, बैंक डिटेल किसी के साथ साझा न करें।
कैसे दिया गया धोखाधडी को अंजाम:
जांच अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली में तैनात पीड़ित लेफ्टिनेंट कर्नल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर शोध कर रहे थे। अपने शोध पत्र को किसी प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित कराना चाहते थे। इस दौरान उनका संपर्क सोशल मीडिया के माध्यम से आरोपियों से हुईं। आरोपियों ने खुद को रिसर्च पेपर पब्लिश कराने का विशेषज्ञ बताया और कई दस्तावेज भी दिखाए। भरोसा जीतने पर आरोपियों ने पीड़ित से कहा कि रिसर्च पेपर पब्लिश कराने के लिए पहले 69 हजार और बाद में 59 हजार देने होंगे।
भरोसा करते हुए पीड़ित ने उन्हें किस्तों में उक्त रकम ट्रांसफर कर दिए। लेकिन, कई महीनों तक न पेपर प्रकाशित हुआ और न कोई अपडेट मिला तो पीड़ित को दोनों पर शक हुआ और उन्होंने इसकी साइबर पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर दोनों को महाराष्ट्र के अलग अलग हिस्से से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस आरोपियों से मोबाइल, बैंक डिटेल्स और लेन-देन के दस्तावेज जब्त कर गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी एवं जांच कर रही है।
साइबर सेफ्टी टिप्स
1. कोई भी भुगतान पहले न करें, काम पूरा होने या पुष्टि के बाद ही ट्रांजैक्शन करें।
2. वेबसाइट और ईमेल की सत्यता जांचें, सरकारी या विश्वविद्यालय पोर्टल पर जाकर इसकी पुष्टि करें।
3. सोशल मीडिया पर मिले ‘स्पेशल ऑफर’ से सावधान रहें।
4. किसी भी प्रकार की शंका होने पर तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।
5. OTP, पासवर्ड, बैंक डिटेल किसी के साथ साझा न करें।
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