Chhath Puja Fasting Rules : 25 अक्टूबर, शनिवार को नहाय खाय के साथ छठ के त्योहार की शुरुआत हो रही है। वहीं, 26 अक्टूबर को खरना के दिन से महिलाओं का व्रत शुरू हो जाता है। जिसमें 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखने का विधान होता है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इसका पारण किया जाता है। इस व्रत के दौरान कुछ खास बातों और नियमों का ख्याल रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है। जाने-अनजाने में हुई गलती से व्रत और पूजा अधूरी रह सकती है। ऐसे में खरना के दिन से ही व्रती महिलाओं को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो आइए विस्तार से जानें की छठ पूजा के व्रत में क्या करें और क्या न करें...
छठ पूजा में क्या नहीं करना चाहिए ?
छठ पूजा में क्या करना चाहिए ?
छठ पूजा में क्या नहीं करना चाहिए ?
- इस त्योहार में साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है। ऐसे में व्रत के दौरान घर, मंदिर, रसोई घर में बिल्कुल भी गंदगी नहीं रखनी चाहिए। साथ ही, प्रसाद बनाते समय भी पवित्रता और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
- व्रत रखने वाली महिलाओं को नहाय खाय वाले दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज जैसी तामसिक चीजों को खाने की मनाही होती है। छठ पर्व में केवल व्रती को ही नहीं बल्कि उनके परिवार को सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इससे मन में श्रद्धा भाव बना रहता है।
- खरना के दिन व्रत का आरंभ हो जाता है। छठ में निर्जला व्रत रखने का विधान होता है। ऐसे में व्रती महिलाओं को 36 घंटे तक पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में इस नियम का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अगर व्रत के दौरान पानी पी लिया जाए, तो इससे आपका व्रत और पूजा अधूरी रह सकती है।
- व्रत का पालन करने से पहले अपनी सेहत का ख्याल जरूर रखें। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, जिसके चलते आप निर्जला व्रत नहीं रख सकते हैं तो ऐसे में छठ का व्रत नहीं रखना चाहिए। क्योंकि, शास्त्रों में निर्जला व्रत रखना महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में उन्हीं महिलाओं को यह व्रत करना चाहिए, जो इस नियम का पूरी तरह पालन कर सकें।
छठ पूजा में क्या करना चाहिए ?
- पूजा के लिए लाए गए गेहूं को अच्छी तरह धोकर सुखाना चाहिए। साथ ही, इसे पशु-पक्षी से भी बचाकर रखना जरूरी होता है। क्योंकि छठ के पर्व में पवित्रता का विशेष महत्व है। इसी तरह पूजा के सभी फलों को भी धोकर साफ स्थान पर रखना चाहिए।
- छठ पूजा के दौरान व्रती महिलाओं को चारों दिन स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और नारंगी रंग का ही सिंदूर लगाना चाहिए। इस सिंदूर की छठ पर्व में खास मान्यता होती है।
- पूजा के लिए हर साल नई टोकरी का प्रयोग किया जाता है। छठ पर्व में पुरानी या फटी हुई टोकरी का इस्तेमाल करना अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन अगर आपके पास पीतल की टोकरी या सूप है तो उसे गंगाजल से शुद्ध करने के बाद प्रयोग किया जा सकता है।
- परिवार के सदस्यों को इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि व्रती महिला या पुरुष के भोजन करने के बाद ही उन्हें प्रसाद या खाना ग्रहण करना चाहिए। खरना के दिन इस नियम का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
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