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Bihar Chunav: अमित शाह के बयान को ले उड़े प्रशांत किशोर, तेजस्वी भी गुजरात को बना रहे मुद्दा, दांव पर है BJP की प्रतिष्ठा

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अहमदाबाद: बिहार में बदलाव होगा या फिर एनडीए की सरकार बरकरार रहेगी। इसका फैसला 14 नवंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों में होगा लेकिन खांटी हिंदी बेल्ट में दूसरे सबसे बड़े राज्य बिहार के चुनावों में गुजरात का जिक्र खूब हो रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और महागठबंधन से सीएम कैंडिडेट तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार में गुजरात का खूब जिक्र कर रहे हैं। तेजस्वी यादव पूछ रहे हैं कि बिहार को गुजरात के लोग चलाएंगे या फिर बिहार के लोग। ऐसा बोलकर स्थानीय अस्मिता को जोड़ने वाला लोकल कार्ड खेल रहे हैं। इस सब के बीच प्रशांत किशाेर ने अपने कार्यक्रमों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को पकड़ लिया है, जिसमें उन्होंने यह कह दिया था कि बड़ी इंडस्ट्री के लिए बिहार में जमीन की कमी है, हालांकि अमित शाह ने साफ कहा कि प्रशांत किशोर बिहार में कोई फैक्टर नहीं हैं। पश्चिम बंगाल के सियासी रण से पहले बिहार विधानसभा चुनावों को बीजेपी के लिए काफी अहम माना जा रहा है।


बिहार चुनाव में 'गुजरात फैक्टर'
गुजरात में सबसे सफल प्रदेश अध्यक्ष माने गए सी आर पाटिल जहां सह प्रभारी के तौर पर वहां डेरा डाले हुए हैं तो वहीं चुनाव प्रचार में गुजरात बीजेपी नेताओं के साथ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी प्रचार के लिए वहां जा चुके हैं। इस सब के अलावा राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी लगभग गुजरात की तर्ज पर ही कारपेट बॉम्बिंग की है। यह टर्म सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन गुजरात में यह प्रयोग सफल रहा। बीजेपी चुनाव प्रचार में बेहतर प्रबंधन के नेताओं और स्टार प्रचारकों की बड़ी फौज उतारती है। ऐसा करने से विपक्ष के सामने समस्या खड़ी होती है कि एक साथ हो हमले से कैसे निपटे? बिहार चुनावों में एक और जो सबसे अहम बात है। वह यह है कि बिहार बीजेपी की कमान भी एक तरह से भीखूभाई दलसानिया के हाथों में हैं। वह बिहार बीजेपी के राज्य संगठन महामंत्री हैं। ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। वह पीएम मोदी और अमित शाह के बेहद विश्वस्त लोगों में शामिल हैं।



गुजरात में क्या चल रहा है?
बिहार विधानसभा चुनावों में जहां गुजरात का खूब जिक्र हो रहा है तो वहीं बीजेपी के अपने अभेद्य गढ़ गुजरात में सियासत खूब गर्म है। दिवाली से ठीक पहले सभी 16 मंत्रियों की इस्तीफे फिर अब तक सबसे बड़े मंत्रिमंडल के गठन के बाद सरकार एक साथ कई मोर्चे पर फंसी दिख रही है। किसानों के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) ने बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी की है। यही वजह है कि जब 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को जहां पीएम मोदी केवडिया में नमन किया। उन्होंने राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने के लिए याद किया, तो वहीं 270 किलोमीटर दूर सुरेंद्रनगर जिले के सुदमडा गांव में आप ने किसान महापंचायत की। इसमें लौह पुरुष के बारडोली सत्याग्रह का जिक्र करके उनके किसानों के लिए संघर्षों की चर्चा हुई।


आगे गुजरात में हैं स्थानीय निकाय चुनाव

बिहार विधानसभा चुनावों के बाद गुजरात में अगले कुछ महीनों में स्थानीय निकाय के चुनाव हो सकते हैं। इसमें सभी बड़े शहरों में महानगरपालिका के चुनाव शामिल हैं। ऐसे में अभी चुनाव भले ही बिहार में हो रहा है लेकर राजनीति गुजरात में भी गरमाई हुई है। सरकार ने नए मंत्रियों को संवेदनशील तरीके से लोगों के बीच जाने और उनकी समस्यओं को सुनने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सरकार की बात को लोगों तक बेहतर ढंग से पहुंचाने के लिए दो प्रवक्ता मंत्री नियुक्त किए हैं। इनमें कृषि मंत्री जीतू वाघाणी और उप मुख्यमंत्री हर्ष संघवी खुद शामिल हैं। बिहार चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह जहां मुख्य स्टार प्रचारक हैं तो वहीं बीजेपी ने गुजरात कई अन्य नेताओं को अहम जिम्मेदारी चुनाव रण जीतने के लिए सौंपी हैं। ऐसे में चुनाव भले बिहार का है लेकिन राजनीतिक तौर गुजरात बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। प्रशांत किशाेर ने शाह के फैक्ट्री और इंडस्ट्री के वाले बयान को गुजरात से जोड़कर सियासत को गरमा दिया है।
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