दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार 10 नवंबर शाम हुए धमाकों की आंच फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी तक पहुंच गई है। दरअसल इस हमले का संदिग्ध मास्टरमाइंड आतंकी उमर मोहम्मद इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर था। इतना ही नहीं, हाल ही में फरीदाबाद में जिस आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था वहां के तार भी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़ रहे हैं। वहीं, से एजेंसियों ने आतंकी मुजम्मिल शकील को गिरफ्तार किया था, जिसका कनेक्शन इसी यूनिवर्सिटी से था। इन सब के बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी को इन घटनाओं का अहम केंद्र मान कर देखा जा रहा है।
क्या है 'अल-फलाह' का मतलब?
अल-फलाह यूनिवर्सिटी अपने नाम को लेकर भी इस समय चर्चा में है। 'अल-फलाह' एक अरबी शब्द है। अरबी में इसका मतलब ‘सफलता’ या ‘मुक्ति’होता है। इस्लाम के संदर्भ में यह शब्द अक्सर उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अल्लाह के मार्ग पर चलता है और मुक्ति पाता है। कुरान की कई आयतों में अल-फलाह शब्द का जिक्र मिलता है। नमाज पढते वक्त भी अंत में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। 'हय-या अलल फलाह'
कट्टरता फैलाने के लिए हो रहा इस्तेमाल
एक तरफ जहां इस शब्द को आध्यात्मिक सफलता का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर आतंकी संगठन युवाओं का ब्रेनवॉश करने के लिए भी इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। आतंकी संगठन अल-फलाह शब्द का इस्तेमाल युवाओं का ब्रेनवॉश करने और धार्मिक कट्टरता फैलाने के लिए कर रहे हैं। आतंकी संगठन अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए युवाओं को धर्म के नाम पर बरगलाते हैं और उन्हें जन्नत और 72 हूरों जैसी बातों का झांसा देकर हिंसा के रास्ते पर ले जाते हैं।
जन्नत और अल फलाह के जरिए ब्रेनवॉश
आतंकी संगठन मानसिक रूप से कमजोर या बेरोजगार युवाओं को धार्मिक संदेशों और भाषणों के ज़रिए यकीन दिलाते हैं कि आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लेने से उन्हें मरने के बाद जन्नत और अल फलाह नसीब होगी यानी मुक्ति मिलेगी। इसके लिए अल-फलाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर जिहाद की तरफ धकेला जाता है। फिलहाल, एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इस धमाकों की संयुक्त जांच कर रही हैं। और इस जांच के घेरे में अल फलाह यूनिवर्सिटी भी है जिसका मतलब है 'कल्याण, मोक्ष और मुक्ति।
क्या है 'अल-फलाह' का मतलब?
अल-फलाह यूनिवर्सिटी अपने नाम को लेकर भी इस समय चर्चा में है। 'अल-फलाह' एक अरबी शब्द है। अरबी में इसका मतलब ‘सफलता’ या ‘मुक्ति’होता है। इस्लाम के संदर्भ में यह शब्द अक्सर उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अल्लाह के मार्ग पर चलता है और मुक्ति पाता है। कुरान की कई आयतों में अल-फलाह शब्द का जिक्र मिलता है। नमाज पढते वक्त भी अंत में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। 'हय-या अलल फलाह'
कट्टरता फैलाने के लिए हो रहा इस्तेमाल
एक तरफ जहां इस शब्द को आध्यात्मिक सफलता का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर आतंकी संगठन युवाओं का ब्रेनवॉश करने के लिए भी इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। आतंकी संगठन अल-फलाह शब्द का इस्तेमाल युवाओं का ब्रेनवॉश करने और धार्मिक कट्टरता फैलाने के लिए कर रहे हैं। आतंकी संगठन अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए युवाओं को धर्म के नाम पर बरगलाते हैं और उन्हें जन्नत और 72 हूरों जैसी बातों का झांसा देकर हिंसा के रास्ते पर ले जाते हैं।
जन्नत और अल फलाह के जरिए ब्रेनवॉश
आतंकी संगठन मानसिक रूप से कमजोर या बेरोजगार युवाओं को धार्मिक संदेशों और भाषणों के ज़रिए यकीन दिलाते हैं कि आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लेने से उन्हें मरने के बाद जन्नत और अल फलाह नसीब होगी यानी मुक्ति मिलेगी। इसके लिए अल-फलाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर जिहाद की तरफ धकेला जाता है। फिलहाल, एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इस धमाकों की संयुक्त जांच कर रही हैं। और इस जांच के घेरे में अल फलाह यूनिवर्सिटी भी है जिसका मतलब है 'कल्याण, मोक्ष और मुक्ति।
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