बीजिंग/नई दिल्ली: दुनियाभर में इन दिनों दुर्लभ खनिजों पर कब्जा करने की होड़ मची हुई है। चीन जहां दुनिया के दुर्लभ खनिजों पर लगभग 'कब्जा' कर चुका है, वहीं अमेरिका, जापान और भारत जैसे देश उसे लगातार चुनौती दे रहे हैं। पूरी दुनिया में इन दिनों इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है जो लिथियम आयन बैट्री से चलती हैं। इसके पीछे वजह है कि दुनिया अब स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम बढ़ा रही है। चीन लिथियम को लेकर विश्वभर के देशों को आंख दिखा रहा है। चीनी कंपनियों ने बैट्री की दुनिया में दबदबा कायम कर लिया है। चीन की इस चुनौती के बीच वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रेफाइट अब नया क्रिटिकल मिनरल बन गया है जो लिथियम बैट्री उद्योग की रीढ़ है। वहीं ग्रेफाइट के भंडार की बात करें तो दुनिया का सबसे बड़ा ग्रेफाइट भंडार चीन के पास है लेकिन भारत की धरती भी इस खजाने से भरी हुई है।
विज्ञान पत्रिका नेचर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेफाइट लिथियम आयन बैट्री की रीढ़ है। यह अब नया क्रिटिकल मिनरल बन गया है। इसी वजह से यह स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ती दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज बन गया है। प्राकृतिक ग्रेफाइट की आपूर्ति दुनिया के कुछ ही जगहों पर केंद्रित है और इसका उत्पादन भी बढ़ाना मुश्किल है। इससे दुनिया में सप्लाई में दिक्कत आ रही है। इसी को देखते हुए दुनिया में कृत्रिम ग्रेफाइट का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है जो ज्यादा शुद्ध होता है और उसका प्रदर्शन भी अच्छा होता है। हालांकि इसे बनाने में काफी ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है जो जीवाश्म ईंधन से बनती है। यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है।
भारत में मौजूद है ग्रेफाइट का विशाल भंडार
ग्रेफाइट का भविष्य अब दो बदलावों पर टिका हुआ है। पहला- नवीकरणीय कार्बन स्रोतों से 'ग्रीन' उत्पादन और पुरानी बैटरियों से ग्रेफाइट को रीसायकल करना। ग्रेफाइट लिथियम आयन बैट्री में एनोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। एनोड बैट्री का वह हिस्सा होता है जो चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान आयनों को स्टोर करता है। ग्रेफाइट स्वच्छ ऊर्जा की ओर दुनिया के बढ़ते कदम के लिए बहुत जरूरी है। वहीं प्राकृतिक ग्रेफाइट के भंडार की बात करें तो चीन जहां पहले नंबर पर है, वहीं भारत में भी इसका विशाल भंडार मिला है। भारत दुनिया में सातवें नंबर पर है।
चीन 81 मीट्रिक टन के साथ पहले, ब्राजील के पास 74 मीट्रिक टन, मेडागास्कर के पास 24, मोजांबिक के पास 25, तंजानिया के पास 18, रूस के पास 14, भारत के 8.6 और तुर्की के पास 6.9 मीट्रिक टन प्राकृतिक ग्रेफाइट है। भारत सरकार ग्रेफाइट के उत्पादन पर पूरा जोर दे रही है। भारत में अरुणाचल प्रदेश में देश का सबसे बड़ा ग्रेफाइट भंडार है। भारत सरकार घरेलू खनन कंपनियों को इसके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि चीन पर से निर्भरता को कम किया जा सके। भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में ग्रेफाइट का रिजर्व होना बहुत जरूरी है। अरुणाचल प्रदेश में पश्चिमी सियांग, पापुमपारे और लोअर सुबानसिरी जिलों में ग्रेफाइट बड़े पैमाने पर मिला है। इसके अलावा कश्मीर और मध्य प्रदेश में भी ग्रेफाइट की खोज शुरू की गई है।
विज्ञान पत्रिका नेचर की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेफाइट लिथियम आयन बैट्री की रीढ़ है। यह अब नया क्रिटिकल मिनरल बन गया है। इसी वजह से यह स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ती दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज बन गया है। प्राकृतिक ग्रेफाइट की आपूर्ति दुनिया के कुछ ही जगहों पर केंद्रित है और इसका उत्पादन भी बढ़ाना मुश्किल है। इससे दुनिया में सप्लाई में दिक्कत आ रही है। इसी को देखते हुए दुनिया में कृत्रिम ग्रेफाइट का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है जो ज्यादा शुद्ध होता है और उसका प्रदर्शन भी अच्छा होता है। हालांकि इसे बनाने में काफी ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है जो जीवाश्म ईंधन से बनती है। यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है।
भारत में मौजूद है ग्रेफाइट का विशाल भंडार
ग्रेफाइट का भविष्य अब दो बदलावों पर टिका हुआ है। पहला- नवीकरणीय कार्बन स्रोतों से 'ग्रीन' उत्पादन और पुरानी बैटरियों से ग्रेफाइट को रीसायकल करना। ग्रेफाइट लिथियम आयन बैट्री में एनोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। एनोड बैट्री का वह हिस्सा होता है जो चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान आयनों को स्टोर करता है। ग्रेफाइट स्वच्छ ऊर्जा की ओर दुनिया के बढ़ते कदम के लिए बहुत जरूरी है। वहीं प्राकृतिक ग्रेफाइट के भंडार की बात करें तो चीन जहां पहले नंबर पर है, वहीं भारत में भी इसका विशाल भंडार मिला है। भारत दुनिया में सातवें नंबर पर है।
चीन 81 मीट्रिक टन के साथ पहले, ब्राजील के पास 74 मीट्रिक टन, मेडागास्कर के पास 24, मोजांबिक के पास 25, तंजानिया के पास 18, रूस के पास 14, भारत के 8.6 और तुर्की के पास 6.9 मीट्रिक टन प्राकृतिक ग्रेफाइट है। भारत सरकार ग्रेफाइट के उत्पादन पर पूरा जोर दे रही है। भारत में अरुणाचल प्रदेश में देश का सबसे बड़ा ग्रेफाइट भंडार है। भारत सरकार घरेलू खनन कंपनियों को इसके उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि चीन पर से निर्भरता को कम किया जा सके। भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में ग्रेफाइट का रिजर्व होना बहुत जरूरी है। अरुणाचल प्रदेश में पश्चिमी सियांग, पापुमपारे और लोअर सुबानसिरी जिलों में ग्रेफाइट बड़े पैमाने पर मिला है। इसके अलावा कश्मीर और मध्य प्रदेश में भी ग्रेफाइट की खोज शुरू की गई है।
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