आपने कभी ना कभी कोई ना कोई नीति शास्त्र की पुस्तक अवश्य पड़ी होगी, जैसे चाणक्य नीति, विदुर नीति, हितोपदेश इत्यादि। नीति शास्त्रों में अक्सर मनुष्य के अच्छे लक्षणों के साथ मनुष्य के बुरे लक्षणों की चर्चा भी की गई है। सदियों पूर्व कहे और लिखे गए नीति शास्त्र के श्लोकों में छिपा जीवन दर्शन आज के युग में भी सफलता-असफलता के लिए अत्यन्त प्रासंगिक हैं। नीति शास्त्रों में सीधे-सीधे दुष्ट एवं धूर्त आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है। प्राचीन नीति शास्त्रों में यह बताया गया है कि कौन-सा मनुष्य श्रेष्ठ होता है और कौन-सा मनुष्य धूर्त की श्रेणी में आता है, कौन भरोसे के लायक है और कौन धोखा दे सकता है।
नीति शास्त्र की दृष्टि से अच्छे या बुरे व्यक्ति कैसे बनते हैं- मनुष्य जन्म से अच्छा या बुरा नहीं होता, उसके भीतर अच्छाई और बुराई दोनों के ही बीज मौजूद रहते हैं, उसके भीतर दोनों ही संभावनाएं विद्यमान रहती हैं। जैसे एक खेत में गेहूँ और घास दोनों उग सकते हैं, वैसे ही हर मनुष्य में सद्गुण और दुर्गुण के बीज एक साथ रहते हैं। फर्क केवल इस बात से पड़ता है कि वह किसे सींचता है। अच्छा व्यक्ति बनना या धूर्त बनना किसी बाहरी शक्ति की देन नहीं, यह अपने विचारों, संगति, और संस्कारों का परिणाम है।
अच्छे-बुरे के लिए तीन मूल मानक- मनुष्य का स्वभाव, आचरण और निर्णय उसके जीवन के तीन आधारों पर निर्मित होता है, संग, संस्कार और संकल्प। यही तीन स्तंभ यह निर्धारित करते हैं कि व्यक्ति का जीवन श्रेष्ठ बनेगा या पतन की ओर जाएगा।
संग, संगति का प्रभाव- “जैसा संग वैसा रंग” यह कहावत केवल कहने भर की नहीं, बल्कि जीवन का शाश्वत सत्य है। मनुष्य का व्यक्तित्व उस वातावरण और उन लोगों से आकार लेता है, जिनके साथ वह रहता है। सद्गुणी, सकारात्मक और प्रेरणादायी लोगों का संग मनुष्य में उत्तम विचार और आदर्श उत्पन्न करता है, जबकि नकारात्मक संगति धीरे-धीरे उसकी सोच और व्यवहार को दूषित कर देती है। संगति से ही विचार बदलते हैं, और विचारों से ही जीवन की दिशा तय होती है।
संस्कार, परिवार और परिवेश का प्रभाव- संस्कार वह अदृश्य बीज हैं, जो बचपन से ही व्यक्ति के भीतर बोए जाते हैं। परिवार, शिक्षा और सामाजिक वातावरण मिलकर उसकी सोच, व्यवहार और निर्णय-शक्ति को आकार देते हैं। संस्कार व्यक्ति की अंतरात्मा की आवाज़ बन जाते हैं, जो उसे हर कदम पर सही और गलत में भेद करना सिखाते हैं।
संकल्प, स्वयं की इच्छा और सोच- संग और संस्कार दोनों प्रभाव डालते हैं पर अंतिम निर्णय व्यक्ति के अपने संकल्प पर निर्भर करता है। संकल्प ही वह आंतरिक शक्ति है, जो यह तय करती है कि हम अपने जीवन को किस दिशा में ले जाएंगे। जिसका संकल्प दृढ़ है, वह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त करता है। पूजा, पाठ, उपाय दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति को फलीभूत होते हैं।
नीति शास्त्र की दृष्टि से अच्छे या बुरे व्यक्ति कैसे बनते हैं- मनुष्य जन्म से अच्छा या बुरा नहीं होता, उसके भीतर अच्छाई और बुराई दोनों के ही बीज मौजूद रहते हैं, उसके भीतर दोनों ही संभावनाएं विद्यमान रहती हैं। जैसे एक खेत में गेहूँ और घास दोनों उग सकते हैं, वैसे ही हर मनुष्य में सद्गुण और दुर्गुण के बीज एक साथ रहते हैं। फर्क केवल इस बात से पड़ता है कि वह किसे सींचता है। अच्छा व्यक्ति बनना या धूर्त बनना किसी बाहरी शक्ति की देन नहीं, यह अपने विचारों, संगति, और संस्कारों का परिणाम है।
अच्छे-बुरे के लिए तीन मूल मानक- मनुष्य का स्वभाव, आचरण और निर्णय उसके जीवन के तीन आधारों पर निर्मित होता है, संग, संस्कार और संकल्प। यही तीन स्तंभ यह निर्धारित करते हैं कि व्यक्ति का जीवन श्रेष्ठ बनेगा या पतन की ओर जाएगा।
संग, संगति का प्रभाव- “जैसा संग वैसा रंग” यह कहावत केवल कहने भर की नहीं, बल्कि जीवन का शाश्वत सत्य है। मनुष्य का व्यक्तित्व उस वातावरण और उन लोगों से आकार लेता है, जिनके साथ वह रहता है। सद्गुणी, सकारात्मक और प्रेरणादायी लोगों का संग मनुष्य में उत्तम विचार और आदर्श उत्पन्न करता है, जबकि नकारात्मक संगति धीरे-धीरे उसकी सोच और व्यवहार को दूषित कर देती है। संगति से ही विचार बदलते हैं, और विचारों से ही जीवन की दिशा तय होती है।
संस्कार, परिवार और परिवेश का प्रभाव- संस्कार वह अदृश्य बीज हैं, जो बचपन से ही व्यक्ति के भीतर बोए जाते हैं। परिवार, शिक्षा और सामाजिक वातावरण मिलकर उसकी सोच, व्यवहार और निर्णय-शक्ति को आकार देते हैं। संस्कार व्यक्ति की अंतरात्मा की आवाज़ बन जाते हैं, जो उसे हर कदम पर सही और गलत में भेद करना सिखाते हैं।
संकल्प, स्वयं की इच्छा और सोच- संग और संस्कार दोनों प्रभाव डालते हैं पर अंतिम निर्णय व्यक्ति के अपने संकल्प पर निर्भर करता है। संकल्प ही वह आंतरिक शक्ति है, जो यह तय करती है कि हम अपने जीवन को किस दिशा में ले जाएंगे। जिसका संकल्प दृढ़ है, वह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त करता है। पूजा, पाठ, उपाय दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति को फलीभूत होते हैं।
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