नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग का गठन कर दिया है। इसे लेकर अधिसूचना जारी हो गई है। इस आयोग का मुख्य काम केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं की समीक्षा करना है। साथ ही यह सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर नई सिफारिशें भी देगा। सरकार ने आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों, मुख्यालय और कामकाज के तरीके यानी टर्म्स ऑफ रेफरेंस (टीओआर) का भी ऐलान कर दिया है। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा। यह मौजूदा आर्थिक स्थिति और वित्तीय जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा वेतन ढांचा तैयार करेगा जो सही, काम को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करने वाला और परफॉरमेंस बेस्ड होगा। इसका मकसद सरकारी नौकरी को अधिक आकर्षक बनाना, कर्मचारियों में जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ाना और प्रदर्शन को बेहतर बनाना होगा। आयोग को अपनी रिपोर्ट 18 महीने के अंदर सरकार को सौंपनी होगी।
कौन-कौन सदस्य?8वें वेतन आयोग में कुल तीन सदस्य शामिल होंगे। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को आयोग का चेयरपर्सन बनाया गया है। प्रोफेसर पुलक घोष को पार्ट-टाइम सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है। वहीं, पंकज जैन सदस्य सचिव की भूमिका निभाएंगे।
कहां होगा मुख्यालय?यह आयोग सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहेगा। अलबत्ता, रक्षा बलों, अखिल भारतीय सेवाओं, यूनियन टेरिटरी के कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और कई अन्य श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन ढांचे की भी गहराई से समीक्षा करेगा। आयोग का हेड ऑफिस नई दिल्ली में स्थापित किया जाएगा। यहीं से इसके सभी ऑपरेशन, बैठकें और रिपोर्ट तैयार करने का काम किया जाएगा।
क्या करने वाला है आयोग?8वें वेतन आयोग का सबसे अहम काम मौजूदा आर्थिक हालात और देश की वित्तीय जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए वेतन ढांचा तैयार करना है। यह ढांचा न केवल सही होना चाहिए, बल्कि कर्मचारियों को बेहतर काम करने के लिए प्रेरित भी करे। आयोग परफॉरमेंस बेस्ड सैलरी स्ट्रक्चर पर खास जोर देगा। इसका सीधा मतलब है कि अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को ज्यादा फायदा मिलेगा। आयोग का एक बड़ा लक्ष्य सरकारी नौकरियों को और भी आकर्षक बनाना है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा काबिल और टैलेंटेड लोग सरकारी सेवा की ओर आकर्षित हों। साथ ही, यह आयोग कर्मचारियों के बीच जिम्मेदारी और जवाबदेही की भावना को भी बढ़ाएगा। इससे उनके प्रदर्शन में सुधार होगा। आयोग कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, बोनस, पेंशन और अन्य मिलने वाली सुविधाओं में जरूरी बदलावों की सिफारिश करेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये सभी चीजें समय के साथ प्रासंगिक और तर्कसंगत बनी रहें। यानी, वे आज के समय के हिसाब से सही हों और उनका कोई मतलब निकलता हो।
दायरे में आएंगे कौन-कौन कर्मचारी?8वें वेतन आयोग के मुख्य टीओआर में वेतन और भत्तों की विस्तृत समीक्षा शामिल है। आयोग सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, सुविधाओं और लाभों की बारीकी से जांच करेगा। इसमें केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी शामिल हैं। साथ ही, रक्षा बलों के सदस्य, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, यूनियन टेरिटरी के कर्मचारी, ऑडिट विभाग के कर्मचारी, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वे कर्मचारी जो यूनियर टेरिटेरी के अंतर्गत आते हैं और न्यायिक अधिकारी भी इस समीक्षा के दायरे में होंगे। आयोग एक नया वेतन ढांचा तैयार करने की सिफारिश करेगा। यह ढांचा प्रतिभाशाली कर्मचारियों को सरकारी सेवा में आने के लिए प्रोत्साहित करेगा। साथ ही, यह मौजूदा कर्मचारियों को और अधिक कुशल बनाने में मदद करेगा। आयोग मौजूदा बोनस स्कीम की भी समीक्षा करेगा। इसका मतलब है कि यह देखेगा कि वर्तमान बोनस प्रणाली कितनी प्रभावी है और इसमें क्या सुधार किए जा सकते हैं। इसके अलावा, सभी भत्तों की उपयोगिता और उनकी शर्तों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। जो भत्ते गैर-जरूरी पाए जाएंगे, उन्हें खत्म करने की सिफारिश की जा सकती है। यह सरकारी खर्चों को कम करने की दिशा में एक कदम हो सकता है।
एनपीएस की भी समीक्षापेंशन और ग्रेच्युटी की समीक्षा भी 8वें वेतन आयोग के एजेंडे का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में आने वाले कर्मचारियों के लिए डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रेच्युटी (DCRG) की समीक्षा की जाएगी। इसका मतलब है कि यह देखा जाएगा कि एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट या मृत्यु के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी कितनी उचित है। साथ ही, एनपीएस से बाहर पुराने पेंशन सिस्टम वाले कर्मचारियों के पेंशन और ग्रेच्युटी नियमों पर भी सिफारिशें की जाएंगी। यह सुनिश्चित करेगा कि पेंशनर्स को उचित लाभ मिलता रहे। यानी, उन्हें उनकी सेवा के बदले सही आर्थिक सुरक्षा मिले।
किन बातों को ध्यान में रखेगा आयोग?आयोग काम करते समय कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखेगा। इनमें देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय अनुशासन प्रमुख हैं। इसका मतलब है कि आयोग सिफारिशें करते समय सरकार के खजाने की स्थिति और पैसे के समझदारी भरे इस्तेमाल पर ध्यान देगा। विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए संसाधनों की उपलब्धता भी एक अहम फैक्टर होगा। सरकार को विकास के कामों और लोगों की भलाई के लिए पैसे की जरूरत होती है। इसलिए आयोग ऐसी सिफारिशें करेगा जो इन जरूरतों को भी पूरा करें। गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की वित्तीय लागत का भी मूल्यांकन किया जाएगा। ऐसी पेंशन योजनाएं जिनमें कर्मचारी खुद योगदान नहीं करते, उनका सरकार पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का आकलन किया जाएगा। राज्यों की वित्तीय स्थिति को भी ध्यान में रखा जाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य सरकारें अक्सर केंद्र की सिफारिशों को कुछ बदलावों के साथ लागू करती हैं। इसलिए, राज्यों की आर्थिक हालत को समझना जरूरी है। इसके अलावा, केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की वेतन व कार्य परिस्थितियों का भी अध्ययन किया जाएगा। इससे एक संतुलित सिफारिश की जा सकेगी। यानी सरकारी कर्मचारियों के वेतन की तुलना निजी क्षेत्र से भी की जाएगी ताकि एक उचित और प्रतिस्पर्धी ढांचा तैयार हो सके।
क्या बाहरी एक्सपर्ट्स की मदद ली जाएगी? 8वां वेतन आयोग अपने काम को पूरा करने के लिए अपनी प्रक्रिया स्वयं तय करेगा। यह अपनी जरूरत के अनुसार विशेषज्ञों, सलाहकारों और विभिन्न संस्थानों को शामिल कर सकता है। इसका मतलब है कि आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए किसी भी बाहरी विशेषज्ञ की मदद ले सकता है। सभी मंत्रालयों और विभागों को आयोग को आवश्यक जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। सरकार को उम्मीद है कि राज्य सरकारें, कर्मचारी संघ और अन्य संबंधित पक्ष आयोग को पूरा सहयोग देंगे। इससे रिपोर्ट समय पर तैयार हो सकेगी। सहयोग का मतलब है कि सभी लोग आयोग को अपनी राय और जरूरी जानकारी देंगे।
कितने समय में जमा होगी रिपोर्ट?आयोग को अपनी रिपोर्ट सरकार को 18 महीने के भीतर सौंपनी होगी। यह एक तय समय सीमा है। हालांकि, यदि किसी विशेष विषय पर तत्काल सिफारिशों की आवश्यकता होती है तो आयोग जरूरत पड़ने पर किसी खास विषय पर अंतरिम रिपोर्ट भी भेज सकता है। अंतरिम रिपोर्ट का मतलब है कि आयोग कुछ जरूरी सिफारिशें जल्दी सरकार को दे सकता है, भले ही पूरी रिपोर्ट तैयार न हुई हो।
किस तरह की उम्मीद?कर्मचारियों को इस 8वें वेतन आयोग से काफी उम्मीदें हैं। यदि पिछले वेतन आयोगों की तरह ही बदलाव किए जाते हैं तो कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में बड़ा इजाफा संभव है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है तो किसी कर्मचारी की 25,000 रुपये मासिक पेंशन बढ़कर 50,000 रुपये तक हो सकती है। फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा मल्टीपल होता है जिसका इस्तेमाल मूल वेतन की कैलकुलेशन के लिए किया जाता है। यह बढ़ोतरी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे बेहतर जीवन जी सकेंगे।
कौन-कौन सदस्य?8वें वेतन आयोग में कुल तीन सदस्य शामिल होंगे। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को आयोग का चेयरपर्सन बनाया गया है। प्रोफेसर पुलक घोष को पार्ट-टाइम सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है। वहीं, पंकज जैन सदस्य सचिव की भूमिका निभाएंगे।
कहां होगा मुख्यालय?यह आयोग सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहेगा। अलबत्ता, रक्षा बलों, अखिल भारतीय सेवाओं, यूनियन टेरिटरी के कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और कई अन्य श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन ढांचे की भी गहराई से समीक्षा करेगा। आयोग का हेड ऑफिस नई दिल्ली में स्थापित किया जाएगा। यहीं से इसके सभी ऑपरेशन, बैठकें और रिपोर्ट तैयार करने का काम किया जाएगा।
क्या करने वाला है आयोग?8वें वेतन आयोग का सबसे अहम काम मौजूदा आर्थिक हालात और देश की वित्तीय जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए वेतन ढांचा तैयार करना है। यह ढांचा न केवल सही होना चाहिए, बल्कि कर्मचारियों को बेहतर काम करने के लिए प्रेरित भी करे। आयोग परफॉरमेंस बेस्ड सैलरी स्ट्रक्चर पर खास जोर देगा। इसका सीधा मतलब है कि अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को ज्यादा फायदा मिलेगा। आयोग का एक बड़ा लक्ष्य सरकारी नौकरियों को और भी आकर्षक बनाना है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा काबिल और टैलेंटेड लोग सरकारी सेवा की ओर आकर्षित हों। साथ ही, यह आयोग कर्मचारियों के बीच जिम्मेदारी और जवाबदेही की भावना को भी बढ़ाएगा। इससे उनके प्रदर्शन में सुधार होगा। आयोग कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, बोनस, पेंशन और अन्य मिलने वाली सुविधाओं में जरूरी बदलावों की सिफारिश करेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ये सभी चीजें समय के साथ प्रासंगिक और तर्कसंगत बनी रहें। यानी, वे आज के समय के हिसाब से सही हों और उनका कोई मतलब निकलता हो।
दायरे में आएंगे कौन-कौन कर्मचारी?8वें वेतन आयोग के मुख्य टीओआर में वेतन और भत्तों की विस्तृत समीक्षा शामिल है। आयोग सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, सुविधाओं और लाभों की बारीकी से जांच करेगा। इसमें केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी शामिल हैं। साथ ही, रक्षा बलों के सदस्य, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, यूनियन टेरिटरी के कर्मचारी, ऑडिट विभाग के कर्मचारी, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वे कर्मचारी जो यूनियर टेरिटेरी के अंतर्गत आते हैं और न्यायिक अधिकारी भी इस समीक्षा के दायरे में होंगे। आयोग एक नया वेतन ढांचा तैयार करने की सिफारिश करेगा। यह ढांचा प्रतिभाशाली कर्मचारियों को सरकारी सेवा में आने के लिए प्रोत्साहित करेगा। साथ ही, यह मौजूदा कर्मचारियों को और अधिक कुशल बनाने में मदद करेगा। आयोग मौजूदा बोनस स्कीम की भी समीक्षा करेगा। इसका मतलब है कि यह देखेगा कि वर्तमान बोनस प्रणाली कितनी प्रभावी है और इसमें क्या सुधार किए जा सकते हैं। इसके अलावा, सभी भत्तों की उपयोगिता और उनकी शर्तों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। जो भत्ते गैर-जरूरी पाए जाएंगे, उन्हें खत्म करने की सिफारिश की जा सकती है। यह सरकारी खर्चों को कम करने की दिशा में एक कदम हो सकता है।
एनपीएस की भी समीक्षापेंशन और ग्रेच्युटी की समीक्षा भी 8वें वेतन आयोग के एजेंडे का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में आने वाले कर्मचारियों के लिए डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रेच्युटी (DCRG) की समीक्षा की जाएगी। इसका मतलब है कि यह देखा जाएगा कि एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट या मृत्यु के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी कितनी उचित है। साथ ही, एनपीएस से बाहर पुराने पेंशन सिस्टम वाले कर्मचारियों के पेंशन और ग्रेच्युटी नियमों पर भी सिफारिशें की जाएंगी। यह सुनिश्चित करेगा कि पेंशनर्स को उचित लाभ मिलता रहे। यानी, उन्हें उनकी सेवा के बदले सही आर्थिक सुरक्षा मिले।
किन बातों को ध्यान में रखेगा आयोग?आयोग काम करते समय कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखेगा। इनमें देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय अनुशासन प्रमुख हैं। इसका मतलब है कि आयोग सिफारिशें करते समय सरकार के खजाने की स्थिति और पैसे के समझदारी भरे इस्तेमाल पर ध्यान देगा। विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए संसाधनों की उपलब्धता भी एक अहम फैक्टर होगा। सरकार को विकास के कामों और लोगों की भलाई के लिए पैसे की जरूरत होती है। इसलिए आयोग ऐसी सिफारिशें करेगा जो इन जरूरतों को भी पूरा करें। गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की वित्तीय लागत का भी मूल्यांकन किया जाएगा। ऐसी पेंशन योजनाएं जिनमें कर्मचारी खुद योगदान नहीं करते, उनका सरकार पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का आकलन किया जाएगा। राज्यों की वित्तीय स्थिति को भी ध्यान में रखा जाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य सरकारें अक्सर केंद्र की सिफारिशों को कुछ बदलावों के साथ लागू करती हैं। इसलिए, राज्यों की आर्थिक हालत को समझना जरूरी है। इसके अलावा, केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की वेतन व कार्य परिस्थितियों का भी अध्ययन किया जाएगा। इससे एक संतुलित सिफारिश की जा सकेगी। यानी सरकारी कर्मचारियों के वेतन की तुलना निजी क्षेत्र से भी की जाएगी ताकि एक उचित और प्रतिस्पर्धी ढांचा तैयार हो सके।
क्या बाहरी एक्सपर्ट्स की मदद ली जाएगी? 8वां वेतन आयोग अपने काम को पूरा करने के लिए अपनी प्रक्रिया स्वयं तय करेगा। यह अपनी जरूरत के अनुसार विशेषज्ञों, सलाहकारों और विभिन्न संस्थानों को शामिल कर सकता है। इसका मतलब है कि आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए किसी भी बाहरी विशेषज्ञ की मदद ले सकता है। सभी मंत्रालयों और विभागों को आयोग को आवश्यक जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। सरकार को उम्मीद है कि राज्य सरकारें, कर्मचारी संघ और अन्य संबंधित पक्ष आयोग को पूरा सहयोग देंगे। इससे रिपोर्ट समय पर तैयार हो सकेगी। सहयोग का मतलब है कि सभी लोग आयोग को अपनी राय और जरूरी जानकारी देंगे।
कितने समय में जमा होगी रिपोर्ट?आयोग को अपनी रिपोर्ट सरकार को 18 महीने के भीतर सौंपनी होगी। यह एक तय समय सीमा है। हालांकि, यदि किसी विशेष विषय पर तत्काल सिफारिशों की आवश्यकता होती है तो आयोग जरूरत पड़ने पर किसी खास विषय पर अंतरिम रिपोर्ट भी भेज सकता है। अंतरिम रिपोर्ट का मतलब है कि आयोग कुछ जरूरी सिफारिशें जल्दी सरकार को दे सकता है, भले ही पूरी रिपोर्ट तैयार न हुई हो।
किस तरह की उम्मीद?कर्मचारियों को इस 8वें वेतन आयोग से काफी उम्मीदें हैं। यदि पिछले वेतन आयोगों की तरह ही बदलाव किए जाते हैं तो कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में बड़ा इजाफा संभव है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर फिटमेंट फैक्टर बढ़ता है तो किसी कर्मचारी की 25,000 रुपये मासिक पेंशन बढ़कर 50,000 रुपये तक हो सकती है। फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा मल्टीपल होता है जिसका इस्तेमाल मूल वेतन की कैलकुलेशन के लिए किया जाता है। यह बढ़ोतरी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे बेहतर जीवन जी सकेंगे।
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