रामबाबू मित्तल, मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के बुढ़ाना स्थित डीएवी कॉलेज के बीए तीसरे सेमेस्टर के छात्र उज्ज्वल राणा की दिल्ली में इलाज के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। मारने से पहले उज्ज्वल राणा ने अपने रिकॉर्ड हुए बयान में कॉलेज प्रशासन ओर पुलिस कर्मियों को अपने हादसे का जिम्मेदार बताया।
जानकारी के मुताबिक, उज्ज्वल पिछले कई दिनों से 7,000 की कॉलेज फीस को लेकर परेशान था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह फीस जमा नहीं कर पा रहा था। कॉलेज प्रशासन की ओर से उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। इस मानसिक तनाव ने आखिरकार उसे उस मोड़ पर ला दिया, जहां से वापसी संभव नहीं थी।
कुछ दिन पहले उज्ज्वल ने कॉलेज परिसर में खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। गंभीर हालत में उसे दिल्ली रेफर किया गया, जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। मरने से पहले उज्ज्वल ने एक वीडियो बयान छोड़ा, जिसमें उसने कॉलेज प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए।
वीडियो में उज्ज्वल ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य प्रदीप सिंह ने उसके साथ अभद्रता की और झूठे आरोप लगाकर पुलिस को बुलाया। उसने बताया कि पुलिस थाने में भी उसके साथ दुर्व्यवहार हुआ और न्याय की जगह उसे अपमान सहना पड़ा। उज्ज्वल ने अपने बयान में दरोगा नंद किशोर, चार कांस्टेबलों, कॉलेज के क्लर्क और मैनेजर को अपनी दुखद स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।
अस्पताल में अपने अंतिम वक्त पर उज्ज्वल ने तड़पते हुए कहा, मैंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, फिर भी सब मेरे खिलाफ हो गए। प्रिंसिपल ने झूठे आरोप लगाए, पुलिस ने भी नहीं सुनी। उसकी यह पीड़ा अब पूरे क्षेत्र में गूंज रही है।
परिवार और ग्रामीणों के अनुसार, उज्ज्वल एक शांत, होनहार और मेहनती छात्र था। उसका सपना था कि वह पढ़-लिखकर अपने परिवार का सहारा बने, लेकिन शिक्षा प्रणाली की अमानवीयता और प्रशासन की संवेदनहीनता ने उसकी जान ले ली। गांव में गुस्सा और आक्रोश का माहौल है।
स्थानीय लोगों ने कॉलेज प्रशासन और पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि 7 हजार जैसी छोटी रकम के लिए किसी बेटे की जान नहीं जानी चाहिए।
फिलहाल, पुलिस ने कॉलेज प्राचार्य और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी अब मरने से पहले दिए उज्ज्वल द्वारा जिनके नाम बताए है उनके खिलाफ भी जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, उज्ज्वल पिछले कई दिनों से 7,000 की कॉलेज फीस को लेकर परेशान था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह फीस जमा नहीं कर पा रहा था। कॉलेज प्रशासन की ओर से उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। इस मानसिक तनाव ने आखिरकार उसे उस मोड़ पर ला दिया, जहां से वापसी संभव नहीं थी।
कुछ दिन पहले उज्ज्वल ने कॉलेज परिसर में खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। गंभीर हालत में उसे दिल्ली रेफर किया गया, जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। मरने से पहले उज्ज्वल ने एक वीडियो बयान छोड़ा, जिसमें उसने कॉलेज प्रशासन और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए।
वीडियो में उज्ज्वल ने कहा कि कॉलेज के प्राचार्य प्रदीप सिंह ने उसके साथ अभद्रता की और झूठे आरोप लगाकर पुलिस को बुलाया। उसने बताया कि पुलिस थाने में भी उसके साथ दुर्व्यवहार हुआ और न्याय की जगह उसे अपमान सहना पड़ा। उज्ज्वल ने अपने बयान में दरोगा नंद किशोर, चार कांस्टेबलों, कॉलेज के क्लर्क और मैनेजर को अपनी दुखद स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।
अस्पताल में अपने अंतिम वक्त पर उज्ज्वल ने तड़पते हुए कहा, मैंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, फिर भी सब मेरे खिलाफ हो गए। प्रिंसिपल ने झूठे आरोप लगाए, पुलिस ने भी नहीं सुनी। उसकी यह पीड़ा अब पूरे क्षेत्र में गूंज रही है।
परिवार और ग्रामीणों के अनुसार, उज्ज्वल एक शांत, होनहार और मेहनती छात्र था। उसका सपना था कि वह पढ़-लिखकर अपने परिवार का सहारा बने, लेकिन शिक्षा प्रणाली की अमानवीयता और प्रशासन की संवेदनहीनता ने उसकी जान ले ली। गांव में गुस्सा और आक्रोश का माहौल है।
स्थानीय लोगों ने कॉलेज प्रशासन और पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि 7 हजार जैसी छोटी रकम के लिए किसी बेटे की जान नहीं जानी चाहिए।
फिलहाल, पुलिस ने कॉलेज प्राचार्य और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी अब मरने से पहले दिए उज्ज्वल द्वारा जिनके नाम बताए है उनके खिलाफ भी जांच शुरू कर दी है।
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