लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा लखनऊ में 'वर्टिकल व्यवस्था' लागू करने के निर्णय से लगभग 3,613 आउटसोर्स कर्मचारियों पर बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है। इस व्यवस्था के विरोध में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ ने 1 नवंबर 2025 से विरोध प्रदर्शन आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है।
तालकटोरा में रविवार को आयोजित संघ की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने कहा कि लखनऊ में बिजली आपूर्ति और राजस्व वसूली बहुत अच्छी चल रही है, फिर भी एमडी मध्यांचल रिया केजरीवाल द्वारा 1 नवंबर से वर्टिकल व्यवस्था लागू की जा रही है, जिससे बिजली व्यवस्था और राजस्व वसूली ध्वस्त हो जाएगी।
प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि वर्तमान में लगभग 4620 आउटसोर्स कर्मचारी 154 बिजली घरों का परिचालन, राजस्व वसूली नई भर्तियों की मांग करेंगे कर्मचारी और बिजली आपूर्ति का कार्य कर रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र पांडेय ने बताया कि वर्तमान व्यवस्था में 33/11 केवी उपकेंद्रों पर 30 कर्मचारी तैनात हैं, जबकि नई व्यवस्था में प्रति उपकेंद्र केवल 6.5 कर्मचारी ही तैनात होंगे।
सात सूत्रीय मांगे रखीउप्र रोडवेज कर्मचारी कल्याण संघ ने रविवार को शासन के सामने अपनी सात सूत्रीय मांगे रखी है, जिसमें तत्काल भर्ती और निजीकरण पर रोक की मांग प्रमुख है। कर्मचारियों का कहना है कि निगम में नियमित कर्मचारियों/अधिकारियों की संख्या अत्यधिक कम हो गई है, इसलिए सभी संवर्गों में मानकों के अनुसार तत्काल भर्ती की जाए।
साथ ही 19 कार्यशालाओं के निजीकरण को तुरंत समाप्त करने की मांग की गई है, जिससे निगम को प्रति माह लगभग 3 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। प्रमुख मांगों में वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और उनकी सेवा नियमावली बनाना शामिल है।
तालकटोरा में रविवार को आयोजित संघ की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने कहा कि लखनऊ में बिजली आपूर्ति और राजस्व वसूली बहुत अच्छी चल रही है, फिर भी एमडी मध्यांचल रिया केजरीवाल द्वारा 1 नवंबर से वर्टिकल व्यवस्था लागू की जा रही है, जिससे बिजली व्यवस्था और राजस्व वसूली ध्वस्त हो जाएगी।
प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि वर्तमान में लगभग 4620 आउटसोर्स कर्मचारी 154 बिजली घरों का परिचालन, राजस्व वसूली नई भर्तियों की मांग करेंगे कर्मचारी और बिजली आपूर्ति का कार्य कर रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र पांडेय ने बताया कि वर्तमान व्यवस्था में 33/11 केवी उपकेंद्रों पर 30 कर्मचारी तैनात हैं, जबकि नई व्यवस्था में प्रति उपकेंद्र केवल 6.5 कर्मचारी ही तैनात होंगे।
सात सूत्रीय मांगे रखीउप्र रोडवेज कर्मचारी कल्याण संघ ने रविवार को शासन के सामने अपनी सात सूत्रीय मांगे रखी है, जिसमें तत्काल भर्ती और निजीकरण पर रोक की मांग प्रमुख है। कर्मचारियों का कहना है कि निगम में नियमित कर्मचारियों/अधिकारियों की संख्या अत्यधिक कम हो गई है, इसलिए सभी संवर्गों में मानकों के अनुसार तत्काल भर्ती की जाए।
साथ ही 19 कार्यशालाओं के निजीकरण को तुरंत समाप्त करने की मांग की गई है, जिससे निगम को प्रति माह लगभग 3 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। प्रमुख मांगों में वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और उनकी सेवा नियमावली बनाना शामिल है।
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