लखनऊ: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) में जांच कमिटी ने विवि को 21 लाख रुपये का बिल थमा दिया। राजभवन की ओर से विवि के एक मामले की जाचं के लिए इस कमिटी का गठन किया गया था। कमिटी की जांच का खर्च विवि को उठाना था। इसमें नाश्ता, वाहन और मैनपावर स्टेशनरी जैसे खर्च शामिल रहे।
कमिटी की ओर से जांच के लिए कुल 71 बैठकें की गई, जिसका 21 लाख रुपये का बिल बन गया। महज एक जांच के लिए इतना भारी-भरकम बिल बनने के बाद विवि को यह मामला कार्यपरिषद में ले जाना पड़ा।
यह समिति विवि के पूर्व कुलसचिव सचिन कुमार सिंह से जुड़े एक मामले में जांच के लिए बनाई गई थी। इसमें सेशन कोर्ट के दो जज व एक राजस्व के अधिकारी शामिल थे।
जांच समिति के सदस्यों के पारिश्रमिक और नाश्ते आदि के लिए प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपये प्रति बैठक की दर से भुगतान किया गया। ऐसे में तीन सदस्यों पर खर्च प्रति बैठक तीस हजार आता था। इसके बाद मामला कार्यपरिषद में गया। परिषद ने भुगतान की अनुमति तो दे दी, लेकिन इस शर्त के साथ भविष्य में इस तरह के भुगतान पर रोक लगेगी।
3.50 लाख से ज्यादा भुगतान नहीं
एकेटीयू ने तय किया है कि अब किसी भी जांच के लिए अधिकतम 3.50 लाख रुपये का ही भुगतान किया जाएगा। जांच सदस्यों के पारिश्रमिक के रूप में 7 हजार रुपये प्रति सदस्य प्रति बैठक निर्धारित किया गया है। बैठकों की संख्या ज्यादा होने पर पारिश्रमिक 3.50 लाख रुपये से अधिक होता है तो विवि की ओर से अधिकतम 3.50 लाख रुपये का ही भुगतान होगा।
कमिटी की ओर से जांच के लिए कुल 71 बैठकें की गई, जिसका 21 लाख रुपये का बिल बन गया। महज एक जांच के लिए इतना भारी-भरकम बिल बनने के बाद विवि को यह मामला कार्यपरिषद में ले जाना पड़ा।
यह समिति विवि के पूर्व कुलसचिव सचिन कुमार सिंह से जुड़े एक मामले में जांच के लिए बनाई गई थी। इसमें सेशन कोर्ट के दो जज व एक राजस्व के अधिकारी शामिल थे।
जांच समिति के सदस्यों के पारिश्रमिक और नाश्ते आदि के लिए प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपये प्रति बैठक की दर से भुगतान किया गया। ऐसे में तीन सदस्यों पर खर्च प्रति बैठक तीस हजार आता था। इसके बाद मामला कार्यपरिषद में गया। परिषद ने भुगतान की अनुमति तो दे दी, लेकिन इस शर्त के साथ भविष्य में इस तरह के भुगतान पर रोक लगेगी।
3.50 लाख से ज्यादा भुगतान नहीं
एकेटीयू ने तय किया है कि अब किसी भी जांच के लिए अधिकतम 3.50 लाख रुपये का ही भुगतान किया जाएगा। जांच सदस्यों के पारिश्रमिक के रूप में 7 हजार रुपये प्रति सदस्य प्रति बैठक निर्धारित किया गया है। बैठकों की संख्या ज्यादा होने पर पारिश्रमिक 3.50 लाख रुपये से अधिक होता है तो विवि की ओर से अधिकतम 3.50 लाख रुपये का ही भुगतान होगा।
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