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असरानी के बिना अधूरी होती थीं राजेश खन्ना की फिल्में, 19 साल रहा साथ, दी जाती थी मिसाल फिर क्यों टूटी दोस्ती?

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गोवर्धन असरानी। जिन्हें असरानी नाम से जाना गया। अगर आप इनके धर्म के बारे में सर्च कर रहे हैं तो ये सिंधी हिंदू हैं। जयपुर में जन्म हुआ। 1 जनवरी 1941 को चार बहनों और तीन भाइयों के बीच पैदा हुए। उनके पिता की कार्पेट की दुकान थी। असरानी को बिजनेस में दिलचस्पी नहीं थी और उनकी मैथ्स कमजोर थी। जयपुर में स्कूलिंग तो राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया। साथ ही साथ ऑल इंडिया रेडियो के लिए वॉइस आर्टिस्ट के तौर पर काम भी किया और इसी से अपनी पढ़ाई का खर्च भी उठाया। जब इंडस्ट्री में आए, तब राजेश खन्ना से दोस्ती हुई। कहते थे कि असरानी के बिना राजेश की दोस्ती अधूरी होती थी। दोनों करीब 19 साल तक साथ रहे, इनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, लेकिन फिर इनका रिश्ता टूट गया। 'संडे सिनेमा' में जानिए उनके बारे में अनसुने किस्से।

असरानी की बीवी और फैमिली
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असरानी की शादी मंजू बंसल से हुई थी, जोकि एक्ट्रेस थीं। 1973 में आई फिल्म 'आज की ताजा खबर' में काम करते हुए दोनों प्यार कर बैठे। दोनों ने 'नमक हराम' में भी काम किया। फिर शादी कर ली। इसके बाद 'तपस्या', 'चांदी सोना', 'जाने-बहार', 'जुर्माना', 'नालायक' और 'सरकारी मेहमान' जैसी फिल्मों में भी साथ काम किया। बताया जाता है कि असरानी के बेटे का नाम नवीन असरानी है, जो फिल्मी दुनिया से दूर हैं। वो अहमदाबाद में डेंटिस्ट हैं।

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असरानी 'जेलर' बनकर हुए थे हिट

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असरानी सिर्फ एक्टर ही नहीं, डायरेक्टर भी थे। उन्होंने अपनी जिंदगी के पांच दशक इंडस्ट्री में बिताए। इस दरमियान 350 से ज्यादा गुजराती और हिंदी फिल्मों में काम किया। लीड हीरो, कॉमेडियन और सपोर्टिंग रोल्स निभाए। उन्हें 'शोले' में 'जेलर' का किरदार निभाकर पहचान मिली थी। वो 'हिटलर' बने थे।

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असरानी की फिल्मों में शुरुआत
पर इस सबकी शुरुआत साल 1960 से 1962 में हुई थी, जब असरानी ने 'साहित्य कलभाई ठक्कर' से एक्टिंग सीखी। बॉलीवुड में आने के लिए वो मुंबई आ गए। 1963 में किशोर साहू और ऋषिकेश मुखर्जी से अचानक मुलाकात हुई, जिन्होंने उन्हें प्रोफेशनली एक्टिंग सीखने की सलाह दी।

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FTII से पढ़ाई की
फिर 1964 में असरानी ने पुणे के FTII में एडमिशन लिया और 1966 में अपना कोर्स पूरा किया। उन्हें 1967 में अपने दोस्त और एक्टर बिस्वजीत की 'हरे कांच की चूड़ियां' से एक्टिंग में ब्रेक मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिंदी और गुजराती फिल्मों में साथ-साथ आगे बढ़ते रहे।

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राजेश खन्ना के करीबी दोस्त
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70 के दशक में वो बहुत बड़ा नाम हुआ करते थे और राजेश खन्ना के करीबी दोस्त भी थे। वो राजेश खन्ना संग 1972 से 1991 तक कुल 25 फिल्मों में नजर आए थे। दोनों 'बावर्ची' के सेट पर मिले और दोस्ती हो गई। 'नमक हराम' से लेकर 1991 में 'घर परिवार' तक इनकी दोस्ती कायम रही।

जब असरानी ने कहा था- राजेश को सुपीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स था
साल 2018 में असरानी ने 'फिल्मफेयर' को दिए इंटरव्यू में राजेश संग अपनी दोस्ती के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, 'मैंने राजेश के साथ 1973 में ऋषि दा की 'नमक हराम' में काम किया। वो अमिताभ बच्चन के अपोजिट कास्ट हुए थे। दोनों के बीच बेसिक कर्टेसी थी, लेकिन राजेश को सुपीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स था। उन्हें लगता था कि 'कोई मुझे हिला नहीं सकता। मैं बहुत पावरफुल हूं।' पूरी फिल्म में दोनों के बीच साफ टेंशन थी।'

'मुझे नहीं लगता वो किसी के करीब थे'
उन्होंने आगे कहा, 'सालों तक राजेश के साथ मेरे रिश्ते अच्छे रहे। वह अक्सर मुझे ड्रिंक्स के लिए बुलाते थे। लेकिन उन्होंने कभी किसी को अपने दिल की बात नहीं बताई। मुझे नहीं लगता कि वह किसी के करीब थे। उन्हें ऐसे लोगों के साथ रहना पसंद था, जो उनके बारे में सिर्फ अच्छी बातें करते थे। उन्होंने कभी अपने डाउनफॉल को स्वीकार नहीं किया। हालांकि, मुझे लगा कि 'अनुरोध' की शूटिंग के दौरान उनमें फ्रस्ट्रेशन बढ़ रही थी। सालों बाद मैं हैदराबाद में 'आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया' (2001) की शूटिंग कर रहा था, जहां मैं उनसे बंजारा होटल्स में मिलने गया था। उनका स्टाइल वैसा ही था।'

असरानी के नाम है रेकॉर्ड
1980 के दशक में असरानी ने 107 हिंदी फिल्मों में काम किया। असरानी के नाम एक दशक में सबसे ज्यादा हिंदी फिल्मों में कैरेक्टर एक्टर/कॉमेडियन के तौर पर काम करने का रिकॉर्ड है – 1970 के दशक में 101 और 1980 के दशक में 107।

बिजनेसमैन भी थे असरानी
साल 1982 में असरानी ने छोटा सी गुजराती प्रोडक्शन कंपनी खोली। अपने आर्टिस्ट साथी दिनेश हींगू, हरीश पटेल और सलीम परवेज के साथ। कंपनी 1996 में बड़े प्रॉफिट के साथ बंद हो गई। असरानी ने कपड़ों में भी इन्वेस्ट किया और दूसरे एक्टर्स के लिए इन्वेस्टर के तौर पर काम किया। पर 1991 तक उनका बहुत सारा पैसा डूब गया।

राज कपूर को थी नाराजगी?
दावा किया गया कि राज कपूर को असरानी से इसलिए नाराजगी थी, क्योंकि ऋषि कपूर को फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन नहीं मिला था। असरानी एक इंस्ट्रक्टर थे और उन्हें लगता था कि ऋषि नॉन मैट्रिकुलेट हैं। सालों बाद राज कपूर ने असरानी को एक प्रोडक्शन में रोल ऑफर किया लेकिन असरानी ने बहुत ज्यादा कीमत बताई।

असरानी मौत की वजह
असरानी ने 84 साल की उम्र में मुंबई में 20 अक्टूबर को आखिरी सांस ली। वो मौत से चार दिन पहले तक स्वास्थ्य संबंधी शिकायत की वजह से मुंबई के जुहू में आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे।
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