नई दिल्ली: दिल्ली में भारत और इजरायल के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया गया। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार के बीच हुई बैठक में आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति दोहराई गई। गिदोन सार 3 दिवसीय भारत दौरे पर हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण को लेकर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर हुए। जयशंकर ने सार को क्षेत्रीय विकास, गाजा शांति योजना और स्थायी समाधान के प्रयासों पर इजरायल के दृष्टिकोण से अवगत कराने के लिए धन्यवाद दिया।
भारत और इजरायल ने राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक अहम समझौता किया है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार की मौजूदगी में सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान, MEA और इजरायली विदेश मंत्रालय के बीच प्रशिक्षण को लेकर एक समझौता ज्ञापन (MoU) का आदान-प्रदान हुआ।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को इजरायल के साथ भारत के मजबूत संबंधों पर मुहर लगाई। उन्होंने इस रिश्ते को 'उच्च स्तर के विश्वास और विश्वसनीयता' पर आधारित बताया। साथ ही, उन्होंने इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार के साथ राष्ट्रीय राजधानी में हुई मुलाकात के दौरान गाजा शांति योजना के प्रति समर्थन भी व्यक्त किया। सार भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर आए हैं।
जयशंकर ने सार का स्वागत करते हुए दोनों देशों के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, 'भारत और इजरायल के बीच एक रणनीतिक साझेदारी है, और खासकर हमारे मामले में, इस शब्द का एक वास्तविक अर्थ है। हमने कठिन समय में एक-दूसरे का साथ दिया है। और हमने उच्च स्तर के विश्वास और विश्वसनीयता वाला रिश्ता बनाया है।'
आतंकवाद दोनों देशों के लिए चुनौती वैश्विक सुरक्षा पर साझा चिंताओं को जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, हमारे दोनों देशों को आतंकवाद से एक विशेष चुनौती का सामना करना पड़ता है। यह आवश्यक है कि हम आतंकवाद के प्रति, अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, 'जीरो टॉलरेंस' के वैश्विक दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करें।' बढ़ती साझेदारी पर बात करते हुए, जयशंकर ने कहा, 'आपकी यात्रा हमें अपने द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने और इसे और गहरा करने की संभावनाओं का आकलन करने का अवसर देती है। हाल ही में हमारे द्विपक्षीय निवेश समझौते का निष्कर्ष इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत और इजरायल ने राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक अहम समझौता किया है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार की मौजूदगी में सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान, MEA और इजरायली विदेश मंत्रालय के बीच प्रशिक्षण को लेकर एक समझौता ज्ञापन (MoU) का आदान-प्रदान हुआ।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को इजरायल के साथ भारत के मजबूत संबंधों पर मुहर लगाई। उन्होंने इस रिश्ते को 'उच्च स्तर के विश्वास और विश्वसनीयता' पर आधारित बताया। साथ ही, उन्होंने इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार के साथ राष्ट्रीय राजधानी में हुई मुलाकात के दौरान गाजा शांति योजना के प्रति समर्थन भी व्यक्त किया। सार भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर आए हैं।
जयशंकर ने सार का स्वागत करते हुए दोनों देशों के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, 'भारत और इजरायल के बीच एक रणनीतिक साझेदारी है, और खासकर हमारे मामले में, इस शब्द का एक वास्तविक अर्थ है। हमने कठिन समय में एक-दूसरे का साथ दिया है। और हमने उच्च स्तर के विश्वास और विश्वसनीयता वाला रिश्ता बनाया है।'
आतंकवाद दोनों देशों के लिए चुनौती वैश्विक सुरक्षा पर साझा चिंताओं को जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, हमारे दोनों देशों को आतंकवाद से एक विशेष चुनौती का सामना करना पड़ता है। यह आवश्यक है कि हम आतंकवाद के प्रति, अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में, 'जीरो टॉलरेंस' के वैश्विक दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करें।' बढ़ती साझेदारी पर बात करते हुए, जयशंकर ने कहा, 'आपकी यात्रा हमें अपने द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने और इसे और गहरा करने की संभावनाओं का आकलन करने का अवसर देती है। हाल ही में हमारे द्विपक्षीय निवेश समझौते का निष्कर्ष इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इस बैठक में दोनों देशों के बीच सहयोग के कई क्षेत्रों पर चर्चा हुई। इसमें रक्षा, प्रौद्योगिकी, कृषि, जल प्रबंधन और नवाचार जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल थे। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। यह बैठक भारत और इजरायल के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों का एक और प्रमाण है।
- जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत इज़राइल के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध केवल व्यापारिक नहीं हैं, बल्कि विश्वास और आपसी समझ पर आधारित हैं। उन्होंने इजरायल के विदेश मंत्री को भारत आने के लिए धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगी।
- इस मुलाकात के दौरान, दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण को लेकर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता दोनों देशों के राजनयिकों और अधिकारियों के बीच ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा। यह दर्शाता है कि दोनों देश अपनी साझेदारी को केवल आर्थिक और सामरिक स्तर तक ही सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि संस्थागत सहयोग को भी बढ़ाना चाहते हैं।
- गाजा शांति योजना पर इजरायल के दृष्टिकोण को सुनना भारत के लिए महत्वपूर्ण था। यह दर्शाता है कि भारत मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता लाने के प्रयासों में इजरायल के साथ संवाद बनाए रखना चाहता है। जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ है और इस लड़ाई में इजरायल के साथ खड़ा है।
- कुल मिलाकर, यह बैठक भारत और इजरायल के बीच मजबूत और बढ़ते संबंधों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। दोनों देशों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने, आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने और आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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