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Chhath Puja 2025 In Periods Rules : मासिक धर्म में छठ व्रत के क्या हैं नियम, क्या अर्घ्य दे सकते हैं और प्रसाद तैयार कर सकते हैं?

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Chhath Puja In Periods : छठ महापर्व का आरंभ हो चुका है। इसके व्रत और नियमों को बहुत कठिन माना जाता है। छठ पूजा में शुद्धता व पवित्रता सबसे खास महत्व होता है। इसमें हर एक चीज की शुद्धता का ख्याल रखा जाता है। वहीं, खरना के दिन से महिलाओं का 36 घंटे तक चलने वाला व्रत शुरू हो जाता है। लेकिन अगर किसी महिला को छठ पूजा या व्रत के दौरान मासिक धर्म यानी पीरियड्स आ जाएं, तो इस अवधि में भी कुछ सख्त नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि छठ पूजा का व्रत मासिक धर्म में भी नहीं छोड़ा जाता है। लेकिन इस दौरान कुछ जरूरी नियमों का ध्यान जरूर रखें।

मासिक धर्म में छठ पूजा कैसे करें ?
माना जाता है कि अगर छठ पूजा के दौरान व्रती महिला को मासिक धर्म हो जाए तब भी वह व्रत का पालन कर सकती है। पौराणिक मान्यता है कि छठ पूजा पीढ़ियों चलने वाली पारंपरिक पूजा है। ऐसे में इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। तो अगर आपको छठ पूजा के बीच में पीरियड्स आ जाएं तब भी इस व्रत को किया जा सकता है। लेकिन इस दौरान कुछ जरूरी और सख्त नियमों का ख्याल जरूर रखना चाहिए।

छठ पूजा में पीरियड्स आने पर क्या करें और क्या न करें?
  • अगर छठ पूजा के दौरान आपको मासिक धर्म आ जाए तो परिवार के किसी सदस्य को अपने सहयोग के लिए चुन सकते हैं। इसके बाद, सहयोगी को भी छठ पूजा के सभी नियमों का ख्याल रखना चाहिए।
  • इस भी सदस्य को आपने सहयोग के लिए चुना है वही छठ पूजा में आपकी हर कार्य में सहायता करेगा। साथ ही, उन्हें भी शुद्धता और पवित्रता का पूरा ख्याल रखना होगा।
  • सहयोगी स्नान के बाद प्याज-लहसुन का सेवन नहीं करेंगे और खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने तक सहयोग करने वाले सदस्य को भी व्रत का पालन करना होगा। लेकिन खरना के दिन शाम को जल के साथ जो पूजा की जाती है वह व्रती महिला यानी छठ पूजा करने वाले ही करेंगे।
  • दूध और जल अशुद्ध नहीं होता है। ऐसे में आप छठ पूजा में खरना के दिन मासिक धर्म में भी जल के साथ पूजा कर सकती हैं। हालांकि, प्रसाद का भोग सहयोगी द्वारा ही लगाया जाएगा। इसके बाद, छठ करने वाली महिला के भोजन करने के बाद घर के सभी सदस्य और सहयोगी भोजन कर सकते हैं।
  • छठ पूजा में जितने भी दिन व्रत रखा जाता है उतने दिन महिलाएं व्रत रख सकती हैं। इसमें घाट पर जाने के लिए जो प्रसाद जैसे ठेकुआ, पूरी आदि बनाई जाती है। वो भी सहयोगी ही बनाएंगे। इसके बाद, आप घाट पर परिवार के साथ जा सकती हैं।
  • मासिक धर्म में महिलाएं पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं। ऐसा करने में कोई मनाही नहीं होती है। लेकिन पूजा की टोकरी, सूप, नारियल आदि लेकर सहयोगी आपके साथ जल में खड़े होंगे।
  • अर्घ्य देने तक सहयोगी को भी व्रत का पालन करना होगा। इस दौरान मासिक धर्म में महिलाएं पानी में खड़े होकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए मानसिक पूजा कर सकती हैं। साथ ही, छठी मैया की भी स्तुति करें।
  • छठ पूजा के दौरान मासिक धर्म आने पर इन नियमों का ख्याल रखते हुए महिलाएं छठ का व्रत कर सकती हैं। साथ ही, घाट पर जाकर जल में खड़े होकर मानसिक पूजा भी कर सकती हैं। इस व्रत में कोई एक सदस्य सहयोगी बनकर उनकी हर समय मदद करेगा।
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