नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम , गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को 31 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है। ये सभी फरवरी 2020 के दिल्ली दंगा के साजिश के आरोपी हैं और ये यूएपीए (UAPA) के तहत पांच साल से जेल में बंद हैं। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम की दो सदस्यीय बेंच ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करेगा सुनवाई
दिल्ली दंगों के साजिश रचने से जुड़े मामले के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने सोमवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगने के बाद शुक्रवार तक के लिए टाल दी है। हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एएसजी राजू ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने कह दिया कि शुक्रवार को ही मामले की सुनवाई करेंगे।
'हमने आपको पर्याप्त समय दिया है'
लाइव लॉ के अनुसार इस दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल राजू ने जवाबी हलफनामे के लिए और समय मांगा तो जस्टिस कुमार ने कहा, 'हमने आपको पर्याप्त समय दिया है। आप पहली बार पेश हो रहे होंगे। पिछली बार हमने नोटिस जारी करने को कहा और कोर्ट में खुले तौर पर कहा था कि 27 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई करेंगे और इसका निपटारा कर देंगे।'
'हम आपको दो सप्ताह नहीं देंगे'
जस्टिस कुमार ने आगे कहा, 'जमानत के मामले में काउंटर-एफिडेविट का क्या सवाल है?' जब एएसजी ने दो सप्ताह का समय मांगा तो जस्टिस कुमार ने कहा, 'आप काउंटर डालिए। लेकिन, हम आपको दो सप्ताह नहीं देंगे।' आरोपी उमर खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता 5 सालों से जेल में बंद हैं। वहीं वरिष्ठ वकील और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सारा मामला ट्रायल में देरी का है और सुनवाई में अब कोई देर नहीं होनी चाहिए।
'आखिरकार यह जमानत का मामला है'
आखिरकार बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख पक्की कर दी। इस दौरान जस्टिस कुमार बोले, 'मिस्टर राजू यह भी देखते हैं कि आप क्या निकाल कर ला पाते हैं...।' एएसजी ने जवाब दिया, 'मुझे एक बार देखने दीजिए, कई बार जो दिखता है, वह होता नहीं...।' इसपर जस्टिस कुमार ने कहा, 'हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमने इसे पढ़ लिया है...आखिरकार यह जमानत का मामला है....उन्होंने पांच साल पूरे कर लिए हैं।'
दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की बेल अर्जी
इस मामले में याचिकार्ताओं की ओर से सिब्बल और सिंघवी के अलावा सिद्धार्थ दवे और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे वकीलों ने पैरवी की। इन्होंने 2 सितंबर के दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले कs खिलाफ याचिकाएं डाली हैं, जिसने उनकी बेल याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इसके बाद 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस देकर उनका जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करेगा सुनवाई
दिल्ली दंगों के साजिश रचने से जुड़े मामले के आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने सोमवार को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगने के बाद शुक्रवार तक के लिए टाल दी है। हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एएसजी राजू ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने कह दिया कि शुक्रवार को ही मामले की सुनवाई करेंगे।
'हमने आपको पर्याप्त समय दिया है'
लाइव लॉ के अनुसार इस दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल राजू ने जवाबी हलफनामे के लिए और समय मांगा तो जस्टिस कुमार ने कहा, 'हमने आपको पर्याप्त समय दिया है। आप पहली बार पेश हो रहे होंगे। पिछली बार हमने नोटिस जारी करने को कहा और कोर्ट में खुले तौर पर कहा था कि 27 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई करेंगे और इसका निपटारा कर देंगे।'
'हम आपको दो सप्ताह नहीं देंगे'
जस्टिस कुमार ने आगे कहा, 'जमानत के मामले में काउंटर-एफिडेविट का क्या सवाल है?' जब एएसजी ने दो सप्ताह का समय मांगा तो जस्टिस कुमार ने कहा, 'आप काउंटर डालिए। लेकिन, हम आपको दो सप्ताह नहीं देंगे।' आरोपी उमर खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता 5 सालों से जेल में बंद हैं। वहीं वरिष्ठ वकील और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सारा मामला ट्रायल में देरी का है और सुनवाई में अब कोई देर नहीं होनी चाहिए।
'आखिरकार यह जमानत का मामला है'
आखिरकार बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख पक्की कर दी। इस दौरान जस्टिस कुमार बोले, 'मिस्टर राजू यह भी देखते हैं कि आप क्या निकाल कर ला पाते हैं...।' एएसजी ने जवाब दिया, 'मुझे एक बार देखने दीजिए, कई बार जो दिखता है, वह होता नहीं...।' इसपर जस्टिस कुमार ने कहा, 'हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमने इसे पढ़ लिया है...आखिरकार यह जमानत का मामला है....उन्होंने पांच साल पूरे कर लिए हैं।'
दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की बेल अर्जी
इस मामले में याचिकार्ताओं की ओर से सिब्बल और सिंघवी के अलावा सिद्धार्थ दवे और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे वकीलों ने पैरवी की। इन्होंने 2 सितंबर के दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले कs खिलाफ याचिकाएं डाली हैं, जिसने उनकी बेल याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इसके बाद 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस देकर उनका जवाब मांगा था।
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