क्वेटा, 08 नवंबर (Udaipur Kiran) . बलोचिस्तान प्रांत में आजादी के संघर्ष को कुचलने पर आमादा पाकिस्तान के एसएसजी कमांडो अत्याधुनिक अमेरिकी हथियारों का प्रयोग कर रहे हैं. इसका खुलासा पिछले महीने 30 अक्टूबर को बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के कलात के मोरगांड और खेसर इलाकों में पाकिस्तानी सैन्य काफिलों पर हुए हमलों के दौरान हुआ. इस हमले में पाकिस्तानी सेना के छह एसएसजी कमांडो और अन्य सैन्यकर्मी मारे गए. तमाम सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए. हमले के बाद बीएलए के लड़ाकों ने हताहत और घायल सैन्य कर्मियों के हथियार समेटे और अपने साथ ले गए.
बलोचिस्तान फैक्ट्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन हथियारों में अमेरिकी निर्मित एम 4 कार्बाइन, मशीन गन और अन्य आधुनिक हथियार भी शामिल हैं.
पश्तो भाषा में प्रसारित द बलोचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रांत में सक्रिय तथ्यान्वेषी संगठन बलोचिस्तान फैक्ट्स ने इन हथियारों को देखा तो यह असलियत सामने आई. इन हथियारों में कोल्ट 1911 मैगजीन (मार्किंग-19200-एएसएसवाई), ट्राइजिकॉन एसीओजी6×48 बीएसी राइफल स्कोप, एफएन-एम16 ए 4 फैक्टरी बैरल (सीएचएफ केज कोड 3S679 – एफएन) और जर्मनी निर्मित हेकलर एंड कोच एचके 23ए 1 जैसे हथियार और उपकरण शामिल हैं.
बलोचिस्तान फैक्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के सैन्य अफसर और नेता हमेशा अन्य समूहों पर अमेरिकी हथियारों का उपयोग करने का आरोप लगाते रहे हैं. मगर बीएलए के हाथ लगे हथियारों से साफ हो जाता है कि अफगानिस्तान में छोड़े गए या वहां से खरीदे गए अमेरिकी हथियारों का प्रयोग पाकिस्तान की फौज कर रही है. साथ ही इन हथियारों को बेचकर पाकिस्तान खूब कमाई कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों और विभिन्न स्रोतों के अनुसार, पश्चिम निर्मित राइफलें, कार्बाइन और संबंधित उपकरण अफगानिस्तान के सीमावर्ती बाजारों से संघीय सरकार खरीदती है. इन हथियारों को आमतौर पर तोरखम, चमन, गुलाम खान और नवा दर्रे जैसे पारंपरिक सीमा मार्गों से पाकिस्तान पहुंचाया जाता है. बलोचिस्तान फैक्ट्स ने कहा कि ऐसे भी प्रमाण मिले हैं कि बाजार में उपलब्ध कुछ हथियार हूबहू अमेरिकी डिजाइन जैसे हैं. अमेरिकी शैली के इन हथियारों को आमतौर पर लाहोरी कहा जाता है. लाहौर पुराने छावनी क्षेत्र में ऐसे हथियार बनाने की फैक्टरी हैं.
पिछले साल काबुल से पाकिस्तान में प्रवेश कर रहे एक वाहन से एम4ए1 कार्बाइन, ग्लॉक 9 एमएम मैगजीन और अन्य पुर्जे बरामद होने का दावा किया गया था. बलोचिस्तान और वजीरिस्तान में भी फौज से कई बार लाहोरी हथियार मिले हैं. रिपोर्ट के अनुसार ऐतिहासिक रूप से कोल्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों ने अफगान बलों को एम 4/एम4ए1 राइफलें प्रदान की हैं. पाकिस्तान की हुकूमत ने बलोचिस्तान में विद्रोहियों से निपटने के लिए गठित मौत के दस्तों को भी ऐसे घातक हथियार उपलब्ध कराए हैं.
———–
(Udaipur Kiran) / मुकुंद
You may also like

मोटे होने पर नहीं मिलेगा अमेरिका का वीजा! स्टूडेंट-वर्कर्स और PR पाने वालों के लिए सरकार लाई नया नियम

पाकिस्तान ने मोर्टार से दागे अफगान के रिहायशी इलाकों पर गोले, महिलाओं और बच्चों समेत छह की मौत

समस्तीपुर में 'वोट चोरी' का खतरा: RJD ने स्ट्रांग रूम का वीडियो जारी कर किया दावा, चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल

पिता-पुत्र की जोड़ी ने एक साथ इंटरनेशनल क्रिकेट खेलकर रचा इतिहास, बने ऐसा करने वाले पहले क्रिकेटर्स

New Office Timings: दिल्लीवालों, ध्यान दें! सरकारी ऑफिस का टाइम बदल रहा है, ऑफिस जाने से पहले चेक करें शेड्यूल




